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छत्तीसगढ़ हाई कोर्ट के चीफ जस्टिस ने पूछा- याचिका को छत्तीसगढ़ी में क्या कहेंगे

बिलासपुर। छत्तीसगढ़ी माध्यम में एक विषय की पढ़ाई को लेकर दायर जनहित याचिका पर डिवीजन बेंच में सुनवाई हुई। जनहित याचिका की सुनवाई के दौरान चीफ जस्टिस रमेश सिन्हा ने याचिकाकर्ता के अधिवक्ता से पूछा कि याचिका को छत्तीसगढ़ी में क्या कहेंगे। कोर्ट ने यह भी कहा कि इस माध्यम से पढ़ाई के लिए अभी रिसर्च की जरूरत है।

याचिकाकर्ता के अधिवक्ता ने रिज्वाइंडर पेश करने के लिए समय मांगा। इस पर कोर्ट ने एक सप्ताह का समय दिया है। जनहित याचिका में याचिकाकर्ता ने बताया है कि राज्य शासन ने राजभाषा आयोग का गठन कर दिया है। छत्तीसगढ़ी भाषा में एक विषय की पढ़ाई को लेकर स्कूल शिक्षा विभाग द्वारा तैयारी को लेकर मांग की है। याचिकाकर्ता ने शिक्षा के अधिकार कानून के साथ ही नई शिक्षा नीति का भी हवाला दिया है।

बुधवार को जनहित याचिका की सुनवाई छत्तीसगढ़ हाई कोर्ट के चीफ जस्टिस रमेश सिन्हा व जस्टिस एनके चंद्रवंशी की डिवीजन बेंच में हुई। चीफ जस्टिस ने याचिकाकर्ता से कहा कि आपकी याचिका अच्छी है। छत्तीसगढ़ी भाषा में पढ़ाई को लेकर चीफ जस्टिस ने राज्य शासन के अधिवक्ता से पूछा इस पर शासन की ओर से पैरवी कर रहे अधिवक्ता ने बताया कि जनहित याचिका में एक विषय के रूप में छत्तीसगढ़ी की पढ़ाई की मांग की गई है।

इस पर कोर्ट ने पूछा कि छत्तीसगढ़ी भाषा में पढ़ाई किस आधार पर होगी। शब्द बने हैं या नहीं। वर्णमाला का आविष्कार हुआ है या नहीं। इसी बीच चीफ जस्टिस ने पूछा कि याचिका को छत्तीसगढ़ी में क्या कहेंगे। जस्टिस चंद्रवंशी ने याचिकाकर्ता के अधिवक्ता से कहा कि शब्द और वर्णमाला बनाने के बाद ही अध्ययन अध्यापन की व्यवस्था हो पाएगी। हमें ऐसा लगता है कि अभी इसमें और बड़े पैमाने पर रिसर्च की जरूरत है।

शासन ने किया है समिति का गठन

जनहित याचिका की सुनवाई के दौरान राज्य शासन की ओर से पैरवी कर रहे विधि अधिकारी ने कोर्ट को बताया कि प्रदेश में छत्तीसगढ़ी, गोंडी, हल्बी समेत चार स्थानीय भाषा में पढ़ाई के लिए राज्य शासन ने विशेषज्ञों की मौजूदगी में समिति का गठन कर दिया है। समिति की सिफारिश के बाद आगे की प्रक्रिया पूरी की जाएगी। प्राथमिक स्तर पर किताबों का प्रकाशन भी कर दिया गया है।

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