पक्षियों के लिए हर किसी के दिल में विशेष जगह होती है। पक्षी अद्भुत होते हैं। आसमान में उड़ने वाले रंग-बिरंगे पक्षी हर किसी को भाते हैं। पक्षियों के प्रति प्यार जताने के लिए एक खास दिन होता है। राष्ट्रीय पक्षी दिवस पक्षियों के प्रति प्यार जताने के लिए एक खास दिन होता है। बार्न फ्री यूएसए और एवियन वेलफेयर गठबंधन ने लोगों में जागरूकता बढ़ाने के उद्देश्य से 5 जनवरी वर्ष 2002 में पहली बार राष्ट्रीय पक्षी दिवस मनाने की शुरुआत की थी।
मूलनिवासी पक्षियों की प्रजातियां नजर आ रही हैं
बर्ड वाचर डा विजय कुमार यादव ने बताया कि शहर स्थित मदनमहल पहाड़ी व देवताल के आसपास व शहर में मूलनिवासी पक्षियों की संख्या नजर आने लगी है। पिछले कुछ समय पहले हाईकोर्ट के आदेश पर मदनमहल पहाड़ी की बसाहट हटा दी गई। जिसके चलते ये पक्षी ज्यादा संख्या में नजर आने लगे हैं। पक्षियों की चहचहाहट हर किसी को भा रही है। इन पक्षियों में फ्लाई कैचर, थ्रश के साथ अन्य मूलनिवासी पक्षियों की प्रजातियां नजर आ रही हैं।
समय-समय पर आते हैं प्रवासी पक्षी
डा यादव ने बताया कि समय-समय पर शहर में प्रवासी पक्षी भी आते है। जिनको देखकर हर कोई मोहित होता है। पक्षियों की चहचहाहट हर किसी को भाती है। कुछ समय पहले शहर में बहुत सारे स्थानों में बसाहट को हटा दिया गया है। जिससे पक्षी नजर आने लगे। इंसानों के घरों के बीच पक्षी नजर नहीं आया करते थे। गौरीघाट, बरगी आदि स्थानों पर भी पक्षियों को देखने के लिए शहरी लोग जाते है। इन दिनों आसमान में फ्लाई कैचर, थ्रश के साथ कई पक्षी भी नजर आते है।
राष्ट्रीय पक्षी दिवस का इतिहास
पक्षियों को अक्सर अतीत से जीवित संबंध माना जाता है, क्योंकि वे डायनासोर के विकास से सबसे निकट से संबंधित जानवर हैं। वे अक्सर पारिस्थितिकी तंत्र में महत्वपूर्ण प्रजातियां हैं, जो इसके स्वास्थ्य और जीवन शक्ति के संकेतक हैं। कठफोड़वाओं छोड़े गए छेद अक्सर कई अन्य जानवरों के लिए घर के रूप में उपयोग किए जाते हैं।
पशु साम्राज्य के लिए कोई नई बात नहीं है
अगर कठफोड़वाओं के पास भोजन का स्रोत या सही प्रकार के पेड़ों की कमी हो जाए, तो सभी जानवर भी चोंच मारने के अपने कौशल पर निर्भर हो जाएंगे। राष्ट्रीय पक्षी दिवस की स्थापना जिसकी स्थापना 5 जनवरी 2002 में की गई थी, लेकिन पक्षियों को जिस प्रतिकूल परिस्थितियों का सामना करना पड़ा है, वह पशु साम्राज्य के लिए कोई नई बात नहीं है।
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