इन दिनों भारत दौरे पर आए अमेरिका खुफिया और सुरक्षा एजेंसी संघीय जांच ब्यूरो (FBI) के प्रमुख से NIA के महानिदेशक दिनकर गुप्ता ने खालिस्तानियों से जुड़ी जानकारी साझा करने को कहा। अपने इस दौरे के दौरान FBI प्रमुख क्रिस्टोफर ए. रे NIA के मुख्यालय पहुंचे। उनके साथ उच्च स्तरीय FBI प्रतिनिधिमंडल भी था। यहां उन्होंने NIA के महानिदेशक दिनकर गुप्ता के साथ ही दोनों एजेंसियों के वरिष्ठ अधिकारियों ने व्यापक चर्चा की। इसके अलावा, भारत ने FBI से उन संदिग्ध व्यक्तियों के बारे में जानकारी साझा करने का भी अनुरोध किया है, जिन्हें हाल के सालों में अलगाववादी आंदोलन में भर्ती किया गया है।
बैठक के दौरान, आतंकवादी-संगठित आपराधिक नेटवर्क के कृत्यों और गतिविधियों, सैन फ्रांसिस्को में भारतीय वाणिज्य दूतावास पर हमले में अमेरिका में चल रही जांच, विभिन्न प्रकार के आतंक और साइबर अपराधों की जांच सहित कई मुद्दों पर स्पष्ट और व्यापक चर्चा हुई। इस दौरान NIA प्रमुख ने संगठित आपराधिक सिंडिकेट के सदस्यों के साथ आतंकवादी संगठनों और आतंकवादी तत्वों के बीच हो रही सांठगांठ के बारे में भी विस्तार से वार्ता की। बैठक के बाद FBI निदेशक ने कहा कि दोनों एजेंसियों में काफी समानताएं हैं और ये समानताएं मतभेदों से कहीं अधिक हैं।
उन्होंने आतंकवाद और संगठित अपराध सिंडिकेट के बीच सांठगांठ पर भी प्रतिक्रिया दी। रे ने कहा कि यह अब साइबरस्पेस में भी दिखाई दे रहा है। उन्होंने कहा कि 9/11 और मुंबई हमलों जैसी आतंकवादी घटनाओं ने देशों के आतंकवादी खतरों पर प्रतिक्रिया करने के तरीके को बदल दिया है। क्रिस्टोफर रे ने इस दौरान लगातार बढ़ती चुनौतियों और खतरों से निपटने के लिए एफबीआई और एनआईए के बीच साझेदारी और सहयोग को अगले स्तर पर ले जाने की आवश्यकता पर भी जोर दिया।
बैठक के दौरान NIA महानिदेशक ने बताया कि साइबर क्षेत्र में खतरे बढ़ रहे हैं। उन्होंने कहा कि आतंकवादियों और चरमपंथियों द्वारा कट्टरपंथी विचारों और भर्ती के प्रचार के लिए डिजिटल स्पेस का भी प्रभावी ढंग से उपयोग किया जा रहा है। इतना ही नहीं आतंकवादी वित्तपोषण के लिए क्रिप्टोकरेंसी का उपयोग भी देखा जा रहा है।
गौरतलब है कि हाल ही में अमेरिकी प्रशासन ने एक भारतीय नागरिक और एक भारतीय एजेंसी के अधिकारी के खिलाफ खालिस्तानी आतंकी गुरपतवंत सिंह पन्नू की हत्या का षड़यंत्र रचने के आरोप लगाए थे। हालांकि, भारतीय विदेश मंत्रालय ने इसका कड़ा विरोध किया था।
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