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आज से सृष्टि के कण-कण में मां आदिशक्ति की साधना

उज्जैन। आज से शारदीय नवरात्र आरंभ हो रहे हैं। अगले नौ दिनों तक समूची सृष्टि के कण-कण में मां आदिशक्ति की साधना होगी। हर भक्त का कंठ मां दुर्गा के आह्वान में मंत्रों का उच्चार करते हुए यही स्तुति करेगा कि…

ॐ जयंती मंगला काली भद्रकाली कपालिनी।

दुर्गा क्षमा शिवा धात्री स्वाहा स्वधा नमोऽस्तुते।।

सर्वस्वरूपे सर्वेशे सर्वशक्तिमन्विते।

भये भ्यस्त्राहि नो देवि दुर्गे देवि नमो स्तुते॥

अर्थात : हे संपूर्ण सृष्टि का मंगल करने वाली मां दुर्गा, आपके श्रीचरणों में प्रणाम है। हे देवी, आप सभी स्वरूपों में शक्ति के रूप में विद्यमान हैं, आप सर्वशक्तियों का समन्वय हैं, भय भी आपसे भयभीत रहकर त्राहिमाम करता है। अत: हे मां दुर्गे, हमारा प्रणाम स्वीकार हो।

ज्योतिषाचार्य पं. अमर डब्बावाला के अनुसार अश्विन मास के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा पर रविवार (आज) बुधादित्य योग में शारदीय नवरात्र का आरंभ हुआ। इस बार किसी तिथि का क्षय नहीं होने से नवरात्र पूरे नौ दिन के रहेंगे।

Shardiya Navratri Planets Transit: ग्रहों के राशि व नक्षत्र परिवर्तन भी

नवरात्र में ग्रहों का राशि व नक्षत्र परिवर्तन भी होगा। इस बार घट स्थापना के ठीक दूसरे दिन शनि धनिष्ठा नक्षत्र के चौथे चरण में प्रवेश करेगा, वहीं 17 अक्टूबर को सूर्य का तुला राशि में प्रवेश होगा। शुक्र भी पूर्वा फाल्गुनी में प्रवेश करेगा। 18 अक्टूबर को बुध तुला में प्रवेश करेंगे। इस दृष्टि से नक्षत्र व राशि के परिवर्तन व्यापार-व्यवसाय की रूपरेखा को तय करने वाले होंगे।

इस दौरान बाजार में उछाल की संभावना बनेगी। वहीं शनि का नक्षत्र चरण परिवर्तन रुके हुए कार्यों में गति बढ़ाएगा। शुक्र के नक्षत्र परिवर्तन से समृद्धि के द्वार खुलेंगे। बुध का तुला राशि में प्रवेश व्यापार-व्यवसाय को वैदेशिक मामलों से जोड़ते हुए आगे बढ़ाएगा। स्टार्टअप में बढ़ोतरी होगी।

ग्रह गोचर तथा नक्षत्र-राशि परिवर्तन की स्थिति प्रतिपदा से तृतीया के मध्य यदि क्रमानुसार बदलती है, तो विशेष साधना के सोपान को आगे बढ़ा देती है। ऐसे योग कम ही बन पाते हैं, खासकर तब जब सूर्य, शनि, बुध के नक्षत्र चरण या राशि परिवर्तन की स्थिति बनती हो। ऐसा संयोग 30 साल में एक बार बनता है।

बुधादित्य योग : बुध व आदित्य (सूर्य) के युतिकृत होने से बुधादित्य योग बनता है। इस योग में देवी की आराधना करने से पराक्रम में वृद्धि होगी, पद प्रतिष्ठा बढ़ेगी, स्वास्थ्य में अनुकूलता प्राप्त होगी, व्यापार व्यवसाय में लाभ की स्थिति निर्मित होगी। बाजार चमकेगा।

सर्वार्थ सिद्धि योग : सर्वार्थ सिद्धि अर्थात सब कुछ सिद्ध हो जाना। 18 अक्टूबर को बुधवार व अनुराधा नक्षत्र होने से सर्वार्थ सिद्धि योग का निर्माण होगा। 22 अक्टूबर को रविवार का दिन व उत्तराषाढ़ा नक्षत्र होने से सर्वार्थ सिद्धि योग बन रहा है। 23 अक्टूबर, सोमवार के दिन श्रवण नक्षत्र होने से सर्वार्थ सिद्धि योग बन रहा है। पंचांगीय गणना में वार के साथ नक्षत्र विशेष की गणना होने से विभिन्न योगों का निर्माण होता है। सर्वार्थ सिद्धि साधना सिद्धियां देती है। साथ ही प्रगति व सफलता के नए सोपान प्रदान करती है।

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