खंडवा। ओंकारेश्वर में सर्वपितृ मोक्ष अमावस्या पर शनिवार को नर्मदा स्नान के लिए घाटों से लेकर मुख्य मार्ग तक जनसैलाब नजर आया। शुक्रवार शाम से ही श्रद्धालु यहां पहुंचने लगे थे। भीड़ के चलते मोरटक्का व कोठी से ही बसों और बड़े वाहनों का प्रवेश रोक दिया गया था। ऐसे में, लोगों को चार से पांच किलोमीटर पैदल चलना पड़ा। रातभर नर्मदा नदी में तांत्रिक क्रिया का दौर भी चला। दो लाख से अधिक श्रद्धालुओं ने दो दिन में स्नान एवं ज्योतिर्लिंग के दर्शन किए है।
पितरों के मोक्ष के लिए घाटों पर तर्पण
श्रद्धालुओं ने अपने पितरों के मोक्ष के लिए घाटों पर पूजन व तर्पण भी किया। शनिवार को ओंकारेश्वर में 16 श्राद्ध के समापन पर सर्वपितृ मोक्ष तथा शनिचरी अमावस्या एक साथ आने से भीड़ को नियंत्रित करने के लिए प्रशासन द्वारा अभय घाट के निकट रपटें से श्रद्धालुओं को संगम घाट की ओर भेजा जा रहा है। बड़ी संख्या में भक्तों की भीड़ जेपी चौक पर होने जाने पर प्रशासन द्वारा रोक-रोक कर श्रद्धालुओं को भेजा जा रहा था।
वाहनों की लगी लंबी कतार
ओंकारेश्वर पहुंचे के लिए चलना पड़ा पांच किमी प्रशासन द्वारा भीड़ के मद्देनजर वाहनों को शुक्रवार शाम से ही कोठी तिराहे और नए बस स्टैंड के पास रोकना शुरू कर दिया था। वाहनों के दबाव को देखते हुए मोरटक्का से भी वाहनों को रोककर छोड़ने की व्यवस्था लागू की गई। इसके बावजूद ओंकारेश्वर तक वाहनों की लंबी कतार लग चुकी हैं। इससे यात्रियों को पांच से सात किलोमीटर पैदल चलना पड़ रहा है।
शनिवार सुबह से वाहनों को प्रवेश से प्रतिबंध हटा दिया गया था। तीर्थ नगरी में तांत्रिकों का जमावड़ा भूतड़ी अमावस्या का भी मौका होने की वजह से तांत्रिक क्रियाएं करने के लिए तांत्रिकों का शुक्रवार रात 12 बजे से ही घाटों पर जमावड़ा लग गया था। नर्मदा में खड़े होकर लोगों ने तांत्रिक क्रिया व पूजन की परंपरा निभाई।
नर्मदा स्नान और दर्शन के बाद ओंकार पर्वत की परिक्रमा
ओंकारेश्वर ज्योतिर्लिंग मंदिर में भी सुबह पांच बजे से दर्शनार्थियों की कतार लगी हुई है। नर्मदा स्नान और दर्शन के उपरांत कईं श्रद्धालुओं द्वारा ओंकार पर्वत की परिक्रमा की जा रही है। प्रशासन ने भीड़ नियंत्रण के लिए नर्मदा स्नान के लिए आने वाली भीड़ को बांटने के लिए परपंरागत मार्गों में बदलाव किया गया था। संगम घाट जाने के लिए नए बस स्टैंड से नवीन घाट से अस्थाई पुल से श्रद्धालु नर्मदा पार भेजा जा रहा है। अधिकारी शुक्रवार सेवा से ही यहां डट गए हैं।
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