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कभी बेटा तो कभी बाप बारी-बारी लगना पड़ता है लाइन में…गुना में गहराया खाद का संकट, किसानों ने काटा बवाल

गुना : डीएपी खाद का संकट जिले में कम होने की बजाए गहराता ही जा रहा है। रविवार देर शाम जिला प्रशासन की ओर से सूचना जारी दी गई थी कि जिले को 2 हजार 703 मैट्रिक टन से ज्यादा खाद उपलब्ध हो गया है और सोमवार से वितरित किया जाएगा। इसके विपरीत जब किसान सुबह 4 बजे से नानाखेड़ी स्थित डबल लॉक केंद्र पहुंचे तो उन्हें रोजाना की तरह निराशा हाथ लगी। किसानों ने कलेक्ट्रेट पहुंचकर शिकायत की, लेकिन कोई नतीजा नहीं निकला है।

बता दें कि डीएपी खाद के लिए रोजाना की तरह सोमवार को भी किसानों का सैलाब नानाखेड़ी मंडी प्रांगण स्थित डबल लॉक वितरण केंद्र पहुंच गया था। किसानों ने अपनी पर्चियां दिखाते हुए डीएपी देने की मांग की तो केंद्र पर मौजूद कर्मचारियों ने वितरण कक्ष के बाहर पर्ची चस्पा कर दी। जिस पर लिखा हुआ था कि डीएपी खाद खत्म हो गया है अब यूरिया भी सीमित मात्रा में उपलब्ध हो सकेगा। इससे नाराज होकर सैकड़ों किसानों ने कलेक्ट्रेट रुख किया, जहां एसडीएम की ओर से उन्हें आश्वासन दिया गया कि जल्द ही खाद उपलब्ध होगा। इस दौरान कई किसानों ने आरोप लगाया कि मंडी प्रांगण में स्थित नानाखेड़ी वितरण केंद्र पर खाद की कालाबाजारी की जा रही है। कुछ किसानों ने बताया कि उन्हें 1350 रुपए की डीएपी की बोरी 1600 रुपए में दी गई है। किसानों ने संदेह जताया कि खाद उपलब्ध होने के बाद वितरण केंद्र के कर्मचारी अधिकारी उसकी कालाबाजारी कर रहे हैं, ताकि मुनाफा कमाया जा सके। कुछ इसी तरह के हालात अंचल में भी देखने को मिली। बमौरी में किसानों ने खाद की कतार में खड़े रहते हुए हंगामा कर दिया और डीएपी को भगवान बता दिया। इस तरह के नजारे जिलेभर में सामने आ रहे हैं। जहां डीएपी के लिए परेशान किसान अपनी भड़ास निकाल रहा है, इसके बावजूद उसकी सुनवाई नहीं हो रही है। खास बात यह है कि जिले में किसानों के नेता कहलाने वाले सत्ताधारी दल के सभी जनप्रतिनिधि इस मुद्दे पर चुप्पी साधे बैठे हुए हैं।

खाद संकट का ऐसा ही नजारा बमौरी ब्लॉक के ग्राम बागेरी स्थित वितरण केंद्र पर भी देखने को मिला। दरअसल, जिलेभर की तरह बमौरी में भी किसानों को डीएपी के संकट से जूझना पड़ रहा है। इसी बीच बागेरी में खाद की पर्ची लेने के लिए किसान रात 11 बजे ही वितरण केंद्र पर पहुंच गए। रातभर लाइन में खड़े रहने के बावजूद किसानों को सुबह होने पर खाद नहीं मिला। बल्कि पर्ची थमाकर तारीख दे दी गई है। कहा गया है कि जब डीएपी आएगा तब वितरण किया जाएगा। इसके बावजूद सोमवार को भी किसान कतार से अपनी जगह छोडऩे के लिए तैयार नहीं दिखे। आलम यह है कि किसानों के परिजन बारी-बारी से कतार में अपनी जगह सुरक्षित कर रहे हैं। कभी पिता लाइन में खड़ा होता है तो कुछ घंटों बाद बेटा या भाई पहुंच जाता है। डीएपी के भीषण संकट को देखते हुए किसान सरकार और प्रशासन दोनों को जमकर कोस रहे हैं।

गुना जिले के मधुसूदनगढ़ में भी खाद की शॉर्टेज के चलते हालात अच्छे नहीं हैं । किसान प्राइवेट दुकानदारों से अधिक दाम पर खाद लेने को मजबूर है। सोमवार को मधुसूदनगढ़ तहसीलदार धीरेंद्र गुप्ता प्राइवेट एवं शासकीय खाद विक्रेताओं की दुकान पर पहुंचे और डीएपी खाद का स्टॉक चैक किया और दुकानदारों को आधार कार्ड एवं भूमि का रकबा के अनुसार निर्धारित रेट पर खाद वितरण करने के निर्देश दिए। उसी समय एक किसान ने तहसीलदार को शासकीय खाद वितरण में डबल हम्माली की शिकायत की तो उसे तहसीलदार ने निराकरण का आश्वासन देते हुए डबल हम्माली पर कार्रवाई की बात कही। एक किसान ने कैमरे के सामने न आने की शर्त पर बताया कि प्राइवेट दुकानदार 1700 रूपए तक डीएपी खाद का एक कट्टा बेच रहे हैं।

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