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खरगोन के बाकी माता मंदिर में महिलाएं नहीं पुरुष करते हैं गरबा

खरगोन। देवी के नौ स्वरूपों की आराधना के पर्व नवरात्र की शुरुआत रविवार से हो गई है। श्रद्धालु नौ दिनों तक पूजा- पाठ, व्रत अनुष्ठान और गरबों के माध्यम से देवी की अराधना करेंगे, लेकिन शहर के सराफा बाजार स्थित 300 वर्षों के प्राचीन श्री महाबलेश्वर महादेव श्री दुर्गा देवी बाकी माता मंदिर (बाकी माता मंदिर) में आज भी प्राचीन परंपरागत तरीके से ही नवरात्र के दौरान पूजन और अनुष्ठान होते हैं।

मूर्ति स्वरूप श‍िला के आसपास होते हैं गरबे

यहां मंदिर में महिलाओं के स्थान पर पुरुष माता की मूर्ति स्वरूप श‍िला के चारों ओर घूमकर गरबा गाकर खेलते हैं। वहीं महिलाएं दर्शकों के समान गरबा देखती हैं, लेकिन गरबा खेलती नहीं। मंदिर में देवी के नौ स्वरूपों के साथ अष्ट भैरव, तीन शिव और हनुमानजी की प्रतिमा एक पेड़ के नीचे स्थापित है। जहां रोजाना माता सहित अन्य देवों का पूजन होता है।

प्राचीन परंपरा के अनुसार पूजन

मंदिर के पुजारी रामकृष्ण भट्ट और सहायक पुजारी हेमेंद्र योगी ने बताया कि 21वीं सदी में भी नवरात्र के दौरान बाकी माता का पूजन प्राचीन परंपरा के अनुसार ही किया जाता है। इसमें कोई बदलाव नहीं किया गया है। नौ दिन पूजन के समय महिलाओं के स्थान पर आज भी पुुरुषों द्वारा यहां परंपरागत तरीके से गरबा गाया व किया जाता है और महिला देखती है। यह नियम सदियों से चलता आ रहा है।

इसके साथ मंदिर में नौ दिनों तक अलग-अलग आयोजन किए जाते है। वहीं ऐसी मानता है कि मंदिर पर‍िसर में एक कुआं आज भी है, जहां से माता की मूर्ति स्वरूप शिला नि‍कली थी।इस कुएं के पानी से नवरात्र के दौरान सूर्य उदय से पूर्व स्नान कर माता के दर्शन करने से विभिन्न बीमारियां दूर हो जाती है।

इस कारण से पड़ा मंदिर का नाम बाकी माता

पुजारी ने बताया कि इतिहास के अनुसार सैकड़ों साल पहले एक व्यक्ति को सपने में माता ने दर्शन दिए। जिसके बाद उस व्यक्ति ने ही सन 1732 में मंदिर परिसर में बने कुएं से माता की श‍िलाओं को निकाला और पीपल के पेड़ के नीच स्थापित किया। श‍िला निकालने वाले को लोग प्यार से बा बुलाया करते थे। इसलिए जब से मंदिर का नाम उनके नाम पर बा की माता पड़ गया। आज भी उस कुएं का पानी क्षेत्र के लोग पीने में उपयोग करते हैं।

पांच मंगलवार स्नान कर माता के दर्शन से दूर होते हैं रोग

मंदिर के पूजारी बताते हैं कि मंदिर की मानता है कि नवरात्र छोड़ बाकी के दिनों मे भी यदि मंदिर पर‍िसर में स्थत कुएं किसी बीमार व्यक्ति को पांच मंगलवारों तक स्नान करवाकर माता के दर्शन करवाए जाते हैं और प्रसादी दी जाती है तो हर प्रकार की बीमारी खत्म हो जाती है।

नौ दिनों तक होंगे यह आयोजन

पहले दिन- कीर्तन

दूसरे दिन- शिव महिम्म स्त्रोत पाठ

तीसरे दिन- सुंदर कांड

चौथे दिन- गरबी(खप्पर मंडल द्वारा)

पांचवें दिन- दत्त भजन

छठवें दिन- महिलाओं के भजन

सातवें दिन- हनुमान चालीसा

आठवें दिन- श्री सुक्तम पाठ

नौवें दिन- भजन व ओपन गरबा

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