ग्वालियर। नागरिक उड्डयन मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया इन दिनों कांग्रेस के निशाने पर हैं। उनके गढ़ ग्वालियर-चंबल में सिंधिया की घेराबंदी कर कांग्रेस उन नाराज भाजपाइयों को भी साधने का प्रयास कर रही है, जो महल यानी सिंधिया राजघराने के विरुद्ध राजनीति करते रहे हैं। नवंबर में होने वाले विधानसभा चुनाव से पहले कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी वाड्रा दूसरी बार मध्यप्रदेश आ रही हैं। जून में वे जबलपुर आई थीं और 21 जुलाई को ग्वालियर में जनसभा को संबोधित करेंगी।
प्रियंका के दौरे का मुख्य उद्देश्य सिंधिया की घेराबंदी करना है। यही वजह है वे जनसभा से पहले झांसी की रानी की प्रतिमा पर माल्यार्पण करेंगी। कांग्रेस सरकार गिराने के लिए सिंधिया को जिम्मेदार ठहराएंगी और इस घटनाक्रम को झांसी की रानी के इतिहास से जोड़ेंगी। सिंधिया के साथ कांग्रेस छोड़ने वालों में अधिकांश विधायक ग्वालियर अंचल के ही थे। उनका विरोध करते हुए कांग्रेस इसे गद्दारी से जोड़कर चुनावी मुद्दा बनाने की तैयारी कर रही है। ग्वालियर-चंबल अंचल 2018 के चुनाव से ही चर्चा में है। एट्रोसिटी एक्ट के विरोध से यहां भाजपा को बड़ा नुकसान हुआ था। कमल नाथ सरकार गिरने के बाद 2020 में 28 विधानसभा क्षेत्रों में एक साथ उपचुनाव हुए तो भी सर्वाधिक सीटें इसी अंचल की थीं। सरकार ने इन उपचुनाव में पूरी ताकत झोंकी फिर भी कांग्रेस का प्रदर्शन बुरा नहीं रहा। अब एक बार फिर इस अंचल पर सभी की निगाहें हैं। बड़ी वजह हैं ज्योतिरादित्य सिंधिया।
चुनाव में सिंधिया से अपना हिसाब बराबर करना चाहती है कांग्रेस
कांग्रेस इस चुनाव में अपना पुराना हिसाब भी सिंधिया से बराबर करना चाहती है। प्रियंका ग्वालियर की जनसभा में कथित धोखे को लेकर सिंधिया के लिए असहज स्थितियां खड़ी करेंगी। झांसी की रानी की प्रतिमा पर जाकर प्रियंका आजादी के संघर्ष में आए सिंधिया अध्याय की भी याद दिलाना चाहती हैं। कांग्रेस की रणनीति है ग्वालियर अंचल में भाजपा को घेरकर बाकी प्रदेश में भी दबाव बढ़ाया जा सकता है।
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