झाबुआ। झाबुआ के पूर्व कलेक्टर जगदीश शर्मा अब जिला जेल के कैदी नंबर 812 बन गए हैं वही वर्तमान में दमोह के अपर कलेक्टर जगमोहन धुर्वे को 813 नंबर मिला है। सजा मिलने के बाद जेल पहुंचे सभी सात हाई प्रोफाइल कैदियों को जेल परिधान के साथ 812 से लेकर 818 तक के नंबर मिल गए हैं। सभी को सश्रम कारावास मिला है। ऐसे में उन्हें कुछ न कुछ कार्य अब जेल में करना होगा।
हालांकि इस नियम के आड़े उनकी उम्र आ रही है। अधिकांश की उम्र लगभग ज्यादा है। बीमारियां भी है। इनमे से एक तो कैंसर पीड़ित हैं और उसका भोजन ही अलग से तैयार करना पड़ रहा है। वजह यह है कि उसे सिर्फ तरल पदार्थ ही लेना है। ऐसे में जेल प्रबंधन उक्त हाई प्रोफाइल कैदियों को किस तरह का कार्य दिया जाए,यह विचार करने में लगा हुआ है।
सामान्य कैदी की तरह शामिल
रविवार को जेल परिसर में रक्षाबंधन पर्व मनाने के लिए दो संस्थाओं के प्रतिनिधि गए थे। इस दौरान वहां आयोजन किया गया था। सभी कैदियों को अपने-अपने बैरक से बाहर निकाला गया था। उक्त सात कैदी भी सामान्य कैदियों के साथ आकर कतार में बैठ गए थे। बताया जा रहा है अब तक बड़े पद पर रहे इन लोगों का व्यवहार सामान्य ही है। बीमारी की बात जरूर कही जा रही है लेकिन सुविधा को लेकर कोई शिकायत नहीं की जा रही है।
जेल नियमों के अनुसार सभी को दो कंबल,एक चादर और एक चटाई दी गई है। बैरक नंबर 10 में अन्य कैदियों की तरह वे जमीन पर ही सो रहे हैं। खाने के लिए थाली,कटोरी,चम्मच का सेट मिला है। रविवार को जेल के परिधान भी मिल गए । साथ ही 812 से लेकर 818 तक सभी को नंबर भी मिल गए है।
काम क्या लें?
जेल का नियम यह है कि सश्रम कारावास की सजा मिलने पर कैदियों को कुछ न कुछ काम जेल परिसर के भीतर करना होता है। वहां खाना बनाने से लेकर सफाई करने तक के हर कार्य का सजायाफ्ता कैदियों के बीच विभाजन होता है। इन हाई प्रोफाइल कैदियों को भी कुछ कार्य करना होगा। दिक्कत यह है फिटनेस के मामले में अधिकांश कमजोर है। ऐसे में जेल प्रबंधन के समक्ष यह विचारणीय बिंदु है कि आखिर उनसे किस तरह का काम करवाया जाए। जेल पहुंचते ही एक ने तो अपना डाइट चार्ट थमा दिया। इसमें उसे सिर्फ तरल पदार्थ ही लेना है। वजह यह है कि मुंह का कैंसर है। अन्य ने हाई बीपी आदि रहने की शिकायत की है।
इसलिए हुई जेल
जिला पंचायत में ग्रामीण विकास योजनाओं के लिए जो फंड था उससे रजिस्टर,प्रचार सामग्री आदि को छपाई होना थी । 2008 में उक्त कार्य का संपूर्ण लाभ भोपाल की राहुल प्रिंटर्स के संचालक मुकेश शर्मा को अधिकारियों ने सारे कायदे-कानून तोड़ते हुए दिया। जो छपाई का कार्य 5 से 6 लाख रुपये की राशि में हो सकता था,उसे 33 लाख से अधिक की राशि में करवाया गया। कुल मिलाकर 27 लाख 70 हजार 725 रूपये का अतिरिक्त लाभ भोपाल के प्रिंटर्स शर्मा को देते हुए शासन को चूना लगाया गया।
4 और 7 साल की सजा
फरियादी राजेश सोलंकी ने 4 फरवरी 2010 को इस मामले में परिवाद झाबुआ न्यायालय के समक्ष प्रस्तुत किया था। न्यायालय ने विशेष पुलिस स्थापना इंदौर को जांच के आदेश दिए। जांच के बाद लोकायुक्त पुलिस इंदौर ने 3 दिसंबर 2010 को प्रकरण दर्ज किया था । 13 साल तक न्यायिक प्रक्रिया चलने के बाद शनिवार को ऐतिहासिक फैसला झाबुआ की विशेष न्यायालय भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम से पारित हुआ।
पूर्व कलेक्टर, पूर्व जिला सीईओ और वर्तमान में दमोह के अपर कलेक्टर सहित छह शासकीय सेवकों को 4-4 साल वहीं नियमों के विपरीत आर्थिक लाभ अर्जित करने वाले व्यापारी को 7 साल का सश्रम कारावास मिला है।
इनको मिला कारावास
- झाबुआ के तत्कालीन कलेक्टर जगदीश शर्मा, हाल ही में वडोनकला दतिया निवासी
- तत्कालीन जिला पंचायत सीईओ जगमोहन सिंह धुर्वे, हाल ही में अपर कलेक्टर दमोह
- नाथूसिह तंवर, परियोजना अधिकारी (तकनीकी) राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना
- अमित दुबे, तत्कालीन जिला समन्वयक, स्वच्छता मिशन
- सदाशिव डावर, तत्कालीन वरिष्ठ लेखाधिकारी जिला पंचायत, हाल में बड़वानी में पदस्थ
- आशीष कदम, तत्कालीन लेखाधिकारी, राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना, हाल में अलीराजपुर में पदस्थ
- मुकेश शर्मा, संचालक, मेसर्स राहुल प्रिंटर्स निवासी भोपाल
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