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दाल-दलहनों की आपूर्ति बढ़ाने के लिए सरकार जल्द उठाएगी कदम

इंदौर। केंद्र सरकार दाल-दलहन के बढ़ते दामों को रोकने के लिए आपूर्ति बढ़ाने के लिए जल्द कोई ठोस कदम उठाएगी। इसमें कुछ खास किस्मों पर आयात शुल्क को समाप्त करना शामिल है। भंडारण सीमा आदेश लागू करना और केंद्रीय पूल में उपलब्ध अधिशेष स्टाक को खुले बाजार में बेचना आदि शामिल है।

31 मार्च 2024 तक मसूर, उड़द एवं तुवर के आयात को पूरी तरह शुल्क मुक्त पहले ही किया जा चुका है। काबुली चना पर 40 प्रतिशत, मटर पर 50 प्रतिशत तथा देसी चना पर 60 प्रतिशत का आयात शुल्क लागू है। सरकार यह सुनिश्चित करना चाहती है कि स्वदेसी स्रोत्रों एवं विदेशों से आयात के साथ आगामी त्योहारी महीनों के दौरान दाल-दलहनों की आपूर्ति एवं उपलब्धता बनी रहे ताकि कीमतों में तेजी की संभावना पर रोक लग सके।

उपलब्ध आंकड़ों के अनुसार जुलाई 2023 में दाल-दलहनों में महंगाई की दर 13.27 प्रतिशत के ऊंचे स्तर पर रही थी। इसके तहत अरहर (तुवर) का भाव 34.05 प्रतिशत, मूंग का 9.07 प्रतिशत एवं उड़द का 7.85 प्रतिशत बढ़ गया। जून में महंगाई दर 10.53 प्रतिशत दर्ज की गई थी। चूंकि अगस्त में चना एवं मसूर के दाम में भी बढ़ोतरी हुई, इसलिए दाल-दलहनों में कुल महंगाई दर ऊंचे स्तर पर ही बरकरार रहने का अनुमान है।

सरकार ने मसूर के व्यापारियों-आयातकों को अनिवार्य रूप से अपने स्टाक विवरण का खुलासा करने का निर्देश दिया है। खुलासे की मात्रा से अधिक स्टाक पाए जाने पर सख्त कार्रवाई की चेतावनी भी दी है। कनाडा में मसूर एवं अफ्रीकी देशों में तुवर के नए माल की आवक शुरू हो चुकी है। भारत में इसका आयात बढ़ रहा है। इसके बावजूद कुछ लोग बाजार को घूमाने का प्रयास कर रहे हैं। आयात संवर्धन एवं स्टाक सीमा आरोपण के माध्यम से दाल-दलहनों की पर्याप्त उपलब्धता सुनिश्चित की जाएगी।

भारत में मसूर का आयात मुख्यतः कनाडा एवं आस्ट्रेलिया से होता है, जबकि तुवर का आयात म्यांमार एवं अफ्रीकी देशों से किया जाता है। इन दोनों दलहनों का घरेलू उत्पादन मांग एवं जरूरत से कम होता है। सरकार दीर्घकालीन आयात करार पर भी नजर रख रही है। अब तक दाल-दलहन की कीमतों पर अंकुश लगाने के लिए वह अनेक प्रयास कर चुकी है लेकिन इसमें उसे कोई खास सफलता हासिल नहीं हो सकी है। देखना है कि सरकार कौनसा कदम उठा रही है ताकि महंगाई पर अंकुश लग सकें।

इधर, प्रदेश के व्यापारी अपनी मांगों को लेकर हड़ताल पर चल रहे हैं। इसके चलते प्रदेश की अधिकांश मंडियां बंद हैं। काबुली चने में सीमित मांग रहने से भाव स्थिर रहे। कंटेनर में भाव बढ़कर डालर चना 40/42 16600, 42/44 16400, 44/46 16200, 58/60 15200, 60/62 15100, 62/64 15000 रुपये क्विंटल पर पहुंच गया। तुवर दाल और मसूर दाल में उपभोक्ता पूछताछ कम होने के कारण मिलों द्वारा इनके दामों में कटौती की गई। तुवर दाल में करीब 200 और मसूर 50 रुपये की मंदी दर्ज की गई।

दालों के दाम – चना दाल 8400-8500, मीडियम 8600-8700, बेस्ट 8800-8900, मसूर दाल 7700-7800, बेस्ट 7900-8000, मूंग दाल 10800-10900, बेस्ट 11000-11100, मूंग मोगर 11500-11600, बेस्ट 11800-11900, तुवर दाल 13700-13800, मीडियम 14600-14700, बेस्ट 15200-15300, ए. बेस्ट 16200-16400, व्हाइटरोज तुवर दाल 16700, उड़द दाल 10500-10600, बेस्ट 10700-10800, उड़द मोगर 11300-11400, बेस्ट 11500-11600 रुपये प्रति क्विंटल के भाव रहे।

चावल के दाम – दयालदास अजीतकुमार छावनी के अनुसार बासमती (921) 11500-125500, तिबार 9500-10000, बासमती दुबार पोनिया 8500-9000, मिनी दुबार 7500-8000, मोगरा 4200-6500, बासमती सेला 7000-9500 कालीमूंछ डिनरकिंग 8500, राजभोग 7500, दुबराज 4500-5000, परमल 3200-3400, हंसा सेला 3400-3600, हंसा सफेद 2800-3000, पोहा 4300-4700 रुपये क्विंटल के भाव बताए गए।

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