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फर्जी वीडियो वायरल करने पर हो सकती है जेल, सोशल मीडिया पर नजर रख रही साइबर पुलिस

 भोपाल। विधानसभा चुनाव के बीच इंटरनेट मीडिया पर राजनीतिक दलों की तल्खी बढ़ने लगी है। फर्जी संदेश और वीडियो भी बहुप्रसारित होने लगे हैं। अभी हाल ही में वरिष्ठ कांग्रेस नेता दिग्विजय सिंह का एक फर्जी त्यागपत्र बहुप्रसारित हुआ था। ऐसे में, साइबर क्राइम पुलिस को संदेह है कि इस चुनावी दंगल में भी आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के वायस रेप्लिकेटिंग तकनीक और डीप फेक सॉफ्टवेयर का उपयोग कर फर्जी वीडियो बहुप्रसारित किया जा सकता है।

प्रतिद्वंद्वियों की छवि खराब करने के लिए हो सकता है उपयोग

इसका उपयोग आम जनता को लुभाने के साथ ही प्रतिद्वंद्वियों की छवि खराब करने के लिए भी हो सकता है, जिससे आगे चलकर विवाद की स्थिति बनेगी। इसको ध्यान में रखकर साइबर पुलिस ने आम जनता से फर्जी संदेश और वीडियो को इंटरनेट मीडिया पर बहुप्रसारित न करने की अपील की है। यह भी कहा कि वीडियो साझा करने के लिए किसी के प्रलोभन में भी न आएं। अगर कोई ऐसा करने के लिए कहे तो पुलिस में शिकायत करें। फर्जी संदेश और वीडियो को बहुप्रसारित करने पर एफआइआर दर्ज की जाएगी।

शिखर सम्मेलन में सामने आए थे राजनेताओं के मीम्स

साइबर अपराध शाखा के अधिकारियों का कहना है कि हाल ही में दिल्ली में आयोजित जी-20 शिखर सम्मेलन के बाद इंटरनेट मीडिया के अलग-अलग माध्यमों पर मीम्स (छवियां, वीडियो) साझा किए गए थे। कई मीम्स में वीडियो के बैकग्राउंड में बजने वाले गाने जाने-पहचाने नेताओं की आवाज से मेल खाते थे। हालांकि ये सभी मनोरंजन के उद्देश्य से बनाए गए थे, लेकिन इनसे बचना चाहिए। इस प्रकार के मीम्स बनाने वाले अगर एआइ तकनीक का उपयोग कर किसी जाने-पहचाने राजनीतिक नेता के नाम से फर्जी आडियो-वीडियो बहुप्रसारित करते हैं तो स्थिति गंभीर हो सकती है।

इंटरनेट मीडिया पर अगर कोई विवादित वीडियो प्रसारित हो रहा है तो उसे आगे बढ़ाने से पहले उसकी सत्यता जांच लें। लोगों को सलाह दी जा रही है कि विवादित और फर्जी वीडियो को बहुप्रसारित करने से बचें।

श्रुतकीर्ति सोमवंशी, पुलिस उपायुक्त

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