Breaking News in Hindi
ब्रेकिंग
पहलगाम आतंकी हमले के बाद भारत के फैसले अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस पर डब्ल्यूओएस ने किया शक्ति उत्सव आयोज। विधान परिषद के बजट सत्र 2025-26 के अंतर्गत बजट लाईव। भारतीय नौसेना का जहाज कुठार श्रीलंका के कोलंबो पहुंचा। कृषि भारतीय अर्थव्यवस्था की रीढ़ है और किसान प्राण, केंद्रीय कृषि मंत्री। इलेक्ट्रॉनिक्स इंडस्ट्री से संरक्षणवाद को छोड़कर उपभोक्ता हितों को प्राथमिकता देने का आग्रह किया,पीय... PM Modi ने बागेश्वर धाम की पर्ची निकाल दीं, धीरेंद्र शास्त्री बोले। विधान सभा बजट सत्र 2025-26 का चौथा दिन। मात्र 250 रुपए जमा करने पर आपको मिलेगा 78 लाख रुपए तक! CM योगी ने विधानसभा में शिवपाल यादव पर कसा तंज।

बगावत भी बड़ी, MLA भी ज्यादा फिर सियासी सौदा करने में एकनाथ शिंदे से क्यों पिछड़ जाते हैं अजित पवार?

महाराष्ट्र में चल रही तमाम अटकलों के बीच अजित पवार अब बीजेपी के साथ ही चुनाव लड़ेंगे. शुक्रवार को दिल्ली में अमित शाह और एकनाथ शिंदे के साथ अजीत ने सीट शेयरिंग फाइनल कर लिया. हालांकि, सियासी सौदे में अजित एक बार फिर एकनाथ शिंदे से मात खा गए हैं.

अजित पवार की पार्टी को शिंदे की पार्टी से 22 सीटें कम मिली हैं. वो भी तब, जब शिंदे से ज्यादा अजित के पास वर्तमान में विधायक हैं. महायुति की सीट शेयरिंग की आधिकारीक घोषणा एक-दो दिन में संभावित है.

अजित ने की थी एकनाथ शिंदे से बड़ी बगावत

एकनाथ शिंदे के मुकाबले अजित की बगावत बड़ी थी. अजित ने पार्टी के 2 नेता जयंत पाटिल और जितेंद्र आह्वाड को छोड़ सभी नेताओं को अपने पाले में ले लिया था. इसके मुकाबले शिवसेना के दिग्गज नेता एकनाथ शिंदे के साथ नहीं आए.

शिंदे ने जब बगावत की थी, तो उनके पास सिर्फ 38 विधायक थे. अजित के बगावत के वक्त 42 विधायक थे. वर्तमान में अजित के पास कांग्रेस से आए 2 विधायकों का भी समर्थन है. कांग्रेस के जीशान सिद्दीकी अभी अजित के साथ ही हैं.

फिर भी न सीएम की कुर्सी मिली और न सीट

अजित पवार जब गठबंधन में आए, तब यह सवाल उठ रहा था कि एकनाथ शिंदे की जगह अजित को मुख्यमंत्री की कुर्सी मिल सकती थी. शिंदे गुट पर उस वक्त सदस्यता रद्द होने का खतरा था. हालांकि, विधानसभा स्पीकर के पास केस पेंडिंग होने की वजह से शिंदे गुट से खतरा टल गया.

इसके बाद अजित डिप्टी ही बनकर रह गए. इसका दर्द अजित कई बार बयां भी कर चुके हैं. लोकसभा चुनाव में अजित को ज्यादा सीटें मिलने की उम्मीद थी, लेकिन उन्हें सिर्फ 4 सीटें दी गई. अजीत के मुकाबले एकनाथ शिंदे की पार्टी को 15 सीटें दी गई. बीजेपी खुद 28 पर मैदान में उतरी.

विधानसभा चुनाव में अजित को उम्मीदें ज्यादा थी, लेकिन अब जो फॉर्मूला तय हुआ है, उसमें कहा जा रहा है कि अजित गुट को सिर्फ 54 सीटें ही दी जा रही है. एकनाथ शिंदे गुट को 78 सीटें दी गई है. बीजेपी खुद 156 सीटों पर उम्मीदवार उतारेगी.

सियासी सौदे में फिसड्डी क्यों हो गए अजित?

1. अजित पवार अपने कोर वोटर्स को साधने में विफल रहे हैं. मराठवाड़ा और पश्चिम महाराष्ट्र जो एनसीपी का गढ़ रहा है, वहां अजित वोट ट्रांसफर नहीं करवा पाए. अजित की पत्नी बारामती से चुनाव हार गई. इसके मुकाबले एकनाथ शिंदे ठाणे और कोकण में अपना दबदबा कायम रख पाए.

शिंदे के बेटे श्रीकांत शिंदे भी चुनाव जीत गए. वोटों के ट्रांसफर न करा पाने की वजह अजित नेगोशिएशन नहीं कर पाए हैं.

2. शिंदे के मुकाबले अजीत की विश्वसनीयता भी कम है. 2019 में अजित बीजेपी के साथ आए थे, लेकिन शरद पवार के कहने पर पलटी मार उद्धव के सरकार में शामिल हो गए.

ऐसे में कहा जा रहा है कि अब अगर उन्हें ज्यादा सीटें दी जाती है और भविष्य में कोई समीकरण बीजेपी का खराब होता है तो अजित पलटी भी मार सकते हैं. अजित कई बार मुख्यमंत्री बनने की राग अलाप चुके हैं.

3. एनसीपी तोड़कर अजित पवार भले एनडीए के साथ चले आए हैं, लेकिन उनकी पार्टी में भगदड़ जैसी स्थिति है. हाल ही में पुणे के पूर्व मेयर समेत 600 नेताओं ने अजित का साथ छोड़ दिया था. आधा दर्जन से ज्यादा पूर्व विधायक भी अजित को छोड़ शरद के साथ आ चुके हैं. इसके मुकाबले शिवसेना (शिंदे) में बड़ी भगदड़ नहीं देखी गई है.

महाराष्ट्र में 288 सीटों पर चुनाव, 145 जादुई आंकड़ा

महाराष्ट्र में विधानसभा की कुल 288 सीटें हैं. एनडीए का सीधा मुकाबला इंडिया गठबंधन से है. इंडिया गठबंधन में उद्धव ठाकरे, शरद पवार और कांग्रेस शामिल है. लोकसभा चुनाव में इंडिया गठबंधन ने बाजी मार ली थी. ऐसे में विधानसभा का चुनाव को काफी टफ माना जा रहा है.

महाराष्ट्र में सरकार बनाने के लिए 145 विधायकों की जरूरत होती है. महाराष्ट्र में लंबे वक्त से किसी भी एक पार्टी को 145 का आंकड़ा नहीं मिल पाया है. यही वजह है कि यहां गठबंधन की पॉलिटिक्स हावी है.

2019 के मुकाबले इस बार गठबंधन में पार्टियां हैं. 2019 में 4 पार्टियां ही गठबंधन में बड़ी भूमिका में थी. इस बार इन 6 पार्टियों के अलावा ऐसी भी पार्टियां हैं, जो किंगमेकर बनना चाहती है. इनमें राष्ट्रीय स्वाभिमान पक्ष, बहुजन विकास अघाड़ी और समाजवादी पार्टी का नाम शामिल हैं.

Comments are closed, but trackbacks and pingbacks are open.