तनाव हर व्यक्ति के जीवन का हिस्सा बन चुका है। आपाधापी के युग में हर व्यक्ति तनाव में जी रहा है। बच्चे को पढ़ाई का तनाव, युवाओं को नौकरी का तनाव, महिलाओं को घर का तनाव और बुजुर्गों को बच्चों का तनाव खाए जा रहा है। तनाव एक महामारी के रुप मे उभरकर सामने आ रहा है। तेजी से बढ़ते मानसिक विकार वैश्विक स्वास्थ्य के लिए बड़ा जोखिम हैं, समय के साथ इसका खतरा और भी बढ़ता जा रहा है। दिनचर्या-आहार में गड़बड़ी को इन विकारों का प्रमुख कारण माना जाता रहा है, कुछ पर्यावरणीय और सामाजिक परिस्थितयां जोखिमों को बढ़ाने वाली हो सकती हैं।
समाज के हर घर मे तनाव प्रबंधन की आवश्यकता है
शासकीय शिक्षा मनोविज्ञान एवं संदर्शन महाविद्यालय के संस्थापक डा प्रशांत मिश्र का कहना है कि हर व्यक्ति तनाव से पीड़ित हो रहा है। समाज के हर घर मे तनाव प्रबंधन की आवश्यकता है। बिगडती लाइफस्टाइल भी लोगों का मानसिक स्वास्थ्य खराब कर रही है। कई ऐसे मामले सामने है, जिनमें छोटी-छोटी बातों का तनाव लेकर आत्महत्या करने तक का प्रयास किया जा चुका है। प्रतिवर्ष 10 अक्टूबर हो विश्व मानसिक स्वास्थ्य दिवस के रुप में मनाया जाता है। जिसकी शुरुआत 1992 में वल्र्ड फेडरेशन फार मेंटल हेल्थ की पहल पर हुई थी। विश्व मानसिक दिवस का उद्देश्य विश्व में मानसिक स्वास्थ्य के बारे में जागरुकता बढ़ाना और इसके समर्थन में प्रयास करना है। शहर के काउंसलर्स से चर्चा के दौरान उन्होंने बताया कि काउंसलिंग कर मानसिक स्वास्थ्य में सुधार लाया जा सकता है।
हर उम्र वर्ग के लोग पीड़ित
काउंसलर मनीषा जैन ने बताया कि कई वर्षो से विहान रिहेबलिटी सेंटर में सेवा दे रही हूं। यहां पर मेंटली रिटायर्ड बच्चों के साथ ही मेंटली इल लोग भी आते है। हम उनकी काउंसलिंग कर उनको ठीक करने का प्रयास करते है। अभी तक कई लोगों की काउंलसिंग कर चुकी हूं। कुछ समय पहले एक ऐसा केस आया था, जिसमें एक लड़के का एक्सीडेंट हुआ था, जिसके बाद उसकी मेंटल हेल्थ खराब हो गई थी। एक्सीडेंट से इस तरह डर गया था, कि उसे कुछ ही नहीं था। उसकी काउंसलिंग कर उसका ट्रीटमेंट किया गया, जिसके बाद अब वो एक स्वस्थ्य जीवन जी रहा है। इसी तरह एक अन्य केस था, जिसमें एक व्यक्ति की उम्र तो 48 वर्ष थी, लेकिन वो मेंटली 12 वर्ष का थे। हमारे सेंटर में 0 से 18 उम्र वर्ग के रहते है। लेकिन कई बार 18 वर्ष से उपर वालों काे भी ले लेते है। हमने उनको रिसेप्शन काउंटर में बिठाया था। उनको व्यस्त रखना जरुरी था। इस तरह से ट्रीटमेंट दिया, जिससे वे एकदम स्वस्थ्य होकर अपने घर गए।
आत्महत्या करने से रोका
काउंसलर आलोक साहू ने कहा कि आशादीप स्कूल में कई वर्षों से काउंसलर के रुप में कार्यरत हूं। अभी तक कई तरह के केसेस देखे है। लेकिन मुझे आज भी एक केस यादा आता है। एक महिला इतनी परेशान थी, कि वो आत्महत्या करना चाहती थी। वो हमारे सेंटर में आई, फिर हमने उसकी काउंसलिंग करना शुरु किया। उनको आत्महत्या की जगह एक स्वस्थ्य जीवन जीने के बारे में बताया। आज वो महिला एकदम हैं। इसी तरह एक अन्य केस था, जिसमें एक लड़की डिप्रेशन में चली गई थी। बेहतर काउंसलिंग का परिणाम यह मिला कि अब वो एक स्वस्थ्य वैवाहिक जीवन जी रही है। आज भी बहुत धन्यवाद देती हैं।
विश्व मानसिक स्वास्थ्य दिवस का महत्व
यह दिन मानसिक स्वास्थ्य के मुद्दों और मानसिक खुशी के महत्व के बारे में जागरूकता बढ़ाने के लिए मनाया जाता है। दुनिया भर में लोग इस दिन को मनाने के लिए विभिन्न अभियानों का आयोजन करते हैं और उन्हें इस मुद्दे पर बात करने के लिए प्रोत्साहित करते हैं। साथ ही, कुछ अपनी प्रेरक कहानी बताते हैं कि उन्होंने अवसाद या अन्य समस्याओं से कैसे निपटा।
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