भोपाल। रीवा के बाद अब जबलपुर, टीकमगढ़, मंदसौर और भोपाल-रायसेन जिले के बीच भी निराश्रित गोवंशीय पशुओं के लिए गोवंश वन्य विहार बनाए जाने की तैयारी है। मध्य प्रदेश गो संवर्धन बोर्ड ने इसके लिए प्रस्ताव तैयार कर लिया है, जिस पर शासन स्तर पर चर्चा भी की गई है। जल्द ही राजस्व विभाग द्वारा भूमि उपलब्ध कराने के बाद इनका काम शुरू कर दिया जाएगा।
बसामन मामा में गोवंश वन्य विहार
बता दें कि रीवा के बसामन मामा स्थान में पहला गोवंश वन्य विहार बनाया गया है, जो लगभग 64 एकड़ भूमि में फैला हुआ है। इसमें पशुपालन विभाग द्वारा चिह्नित लगभग छह हजार निराश्रित गोवंश रखे गए हैं। इसका संचालन करने के लिए समिति गठित की गई है, जिसमें एक प्रबंधक, दो सहायक प्रबंधक, तीन पुरुष और छह महिला कर्मचारी शामिल हैं।
उद्योग उपक्रमों के सीएसआर फंड के सहयोग से दो करोड़ रुपये बैंक में स्थायी निधि के तौर पर जमा कराया गया है। इसके ब्याज से हर महीने कर्मचारियों को मानदेय दिया जाता है, जिसमें महिलाकर्मी को पांच और पुरुष कर्मचारियों को छह हजार रुपये दिए जाते हैं। अभी 8.50 लाख निराश्रित गोवंश – वर्ष 2019 की 20वीं गणना के अनुसार राज्य में निराश्रित गोवंशों की संख्या आठ लाख 50 हजार है। 21वीं पशु गणना में इनकी संख्या लगभग नौ लाख के पार पहुंचने की संभावना है।
इन बिंदुओं पर तैयार किया गया प्रस्ताव
राजस्व विभाग द्वारा लगभग 50 एकड़ भूमि उपलब्ध करानी होगी। वन विभाग को भूमि चिह्नित करनी होगी। पशुपालन विभाग द्वारा निराश्रित एक हजार गोवंश चिह्नित किए जाएंगे। मनरेगा द्वारा गोशालाओं को दिए जाने वाले फंड के तहत 10 गोशाला के हिसाब से तीन करोड़ 80 लाख रुपये देने होंगे। इनका संचालन रजिस्टर्ड एनजीओ या संस्था द्वारा कराया जाएगा।
गोवंश वन्य विहार के निर्माण से निश्चित रूप से सड़कों से निराश्रित गोवंशीय पशुओं की संख्या कम होगी।
स्वामी अखिलेश्वरानंद गिरि, अध्यक्ष, मध्य प्रदेश गो संवर्धन बोर्ड।
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