जबलपुर। वार्डों में विकास कार्य कराने पार्षदों की अनुंशसा पर 90 लाख रुपये तक के कार्य कराने का प्रविधान किया गया है। फिलहाल पार्षदों की अनुशंसा पर 30-30 लाख रुपये तक के कार्य कराने की मंजूदी दी गई है। लेकिन उसमें भी पार्षदों को अपने वार्डों में काम कराने में महीनों लग जाएंगे। दरअसल पार्षद निधि से कराए जाने वाले कार्यों को इतना जटिल बना दिया गया है कि एक लाख रुपये तक के कार्यों की फाइल भी एक-दो नहीं बल्कि 10 अधिकारियों की टेबल से होकर गुजरेगी तब कहीं जाकर ठेकेदारों को भुगतान हो पाएगा। नगर निगम की इस व्यवस्था के बाद कहा जा रहा है कि ऐसे तो वार्डों में काम कराने में ही महीनों लग जाएंगे।
निगमायुक्त ने बनाई व्यवस्था
पार्षदों की अनुशंसा पर होने वाले निर्माण कायों की फाइलों को आगे बढ़ाने के लिए निगमायुक्त स्वप्निल वानखडे ने चरणबद्ध अधिकारियों को जिम्मेदारी सौंप दी गई। उपयंत्री से लेकर संभागीय यंत्री, सहायक आयुक्त से लेकर उपायुक्त और फिर अपर आयुक्त की टेबिल से फाइल गुजरेगी और फिर जाकर कार्यों की स्वीकृति मिलेगी और ठेकेदारों का भुगतान संभव हो सकेगा।
निगम की माली हालात खराब, इसलिए लगाई तरकीब
नगर निगम के जानकारों का मानना है कि पार्षद निधि के कार्यों में इस तरह का पेच इसलिए फंसाया जा रहा है ताकि खर्चा कम हो। क्योंकि नगर निगम की माली हालात ऐसी नहीं कि एक साथ 79 पार्षदों की अनुशंसा पर 30-30 लाख रुपये तक के कार्य कराए जा सके। उनके अलावा भी शहर में अन्य विकास व निर्माण कराए कार्य कराए जा रहे हैं। इस युक्ति से एक-एक लाख रुपये के कार्यों की फाइल जब अलग-अलग टेबलों से गुजरेगी तो उसमें वक्त लगेगा और संभव है आगामी एक-दो माह में चुनाव आचार संहिता भी लागू हो जाए। ऐसे में नगर निगम को काम नहीं कराने पड़ेंगे माली हालात छिपी रहेगी।
इन अधिकारियों की टेबल से गुजेगी फाइल
- लिपिक
- उपयंत्री
- संभागीय यंत्री
- कार्यपालन यंत्री
- सहायक आयुक्त
- अधीक्षण यंत्री
- उपायुक्त
- अपर आयुक्त
- लेखा अधिकारी
- निगमायुक्त
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