जबलपुर। रानी दुर्गावती विश्वविद्यालय में शुल्क आनलाइन जमा होंगे। अभी फीस के लिए डिमांड डाफ्ट और बैंक चालान की सुविधा भी उपलब्ध थी लेकिन वित्तीय अनियमितता की संभावना को देखते हुए प्रशासन ने व्यवस्था में बदलाव किया है। नए सत्र से सभी तरह का शुल्क सिर्फ आनलाइन माध्यम से ही जमा हाेगा। प्रशासन ने विभागाें को भी इस संबंध में सूचित किया है।
बैंक चालान में हो रहे फर्जीवाड़े को रोका जाए
कुलसचिव डॉ. दीपेश मिश्रा ने बताया कि विभिन्न पाठ्यक्रमों में प्रवेश के लिए, हॉस्टल में प्रवेश व कई अन्य शुल्कों को बैंक चालान के माध्यम से जमा किया जाता था। लेकिन विगत दिनों फर्जी चालान के मामले सामने आने के बाद अब व्यवस्था में बदलाव किया जा रहा है। दरअसल, कुलपति डा. राजेश वर्मा के पदभार ग्रहण करने के बाद पहली प्रशासनिक बैठक में उक्त बिंदू पर चर्चा की गई थी। जिसके बाद कुलपति डॉ. वर्मा ने सख्त निर्देश दिए है कि बैंक चालान में हो रहे फर्जीवाड़े को रोका जाए। जल्द से जल्द आनलाइन शुल्क जमा करने की व्यवस्था की जाए।
आनलाइन शुल्क का सत्यापन भी प्राथमिकता के साथ हो
इतना ही नहीं आनलाइन शुल्क जमा करने के उपरांत आवेदक द्वारा जो प्रति विश्वविद्यालय में जमा की जाएगी उसका सत्यापन भी प्राथमिकता के साथ हो। उल्लेखनीय है कि ऑडिट रिपोर्टस में भी कई बार इस बात का उल्लेख सामने आया है कि जितनी राशि विश्वविद्यालय में बहीखाते में नजर आयी है। उतनी विश्वविद्यालय के बैंक एकाउंट में नहीं होती है। गायब राशि करोड़ो में बतायी जाती है।
फार्म में मिले थे फर्जी बैंक चालान
विश्वविद्यालय में फर्जी बैंक चालान के माध्यम से शुल्क जमा करने का खेल तो लंबे समय से चल रहा है। लेकिन पकड़ में तब आया जब हॉस्टल प्रवेश फार्म के साथ लगाए गए बैंक चालान की प्रति को लेकर कुछ संदेह हुआ। इसके बाद बैंक से पत्राचार कर विश्वविद्यालय ने जानकारी मांगी तो पाया गया कि चालान में जो सील लगी है वह फर्जी है। करीब 6 फार्म फर्जी पाए गए थे। बात साफ थी कि हॉस्टल के छात्र बैंक की फर्जी सील चालान में लगा रहे हैं तो मामला बड़ा ही है। इसमें बड़े गिरोह के शामिल होने के संदेह के बाद पूरे प्रकरण को आगे की जांच के लिए पुलिस को सौंपी गई है। पुलिस ने भी प्रशासन से चालान संबंधी जानकारी और दस्तावेज मंगा लिए है ताकि बारीकी से जांच की जा सके।
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