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वकीलों से नामांकन के नाम पर इतनी ज्यादा रकम क्यों ली जा रही है – कोर्ट

इंदौर। मप्र हाई कोर्ट की इंदौर खंडपीठ ने बार कौंसिल आफ इंडिया और राज्य अधिवक्ता परिषद को नोटिस जारी कर पूछा है कि वकीलों से नामांकन के नाम पर 20350 रुपये क्यों लिए जा रहे हैं। कोर्ट ने यह नोटिस उस जनहित याचिका में जारी किया है, जिसमें नामांकन शुल्क को चुनौती दी गई है। अगली सुनवाई चार सप्ताह बाद होगी।

हाई कोर्ट में यह जनहित याचिका एडवोकेट निमेष पाठक ने दायर की है। याचिका में कहा है कि राज्य अधिवक्ता परिषद द्वारा वर्तमान में नामांकन के नाम पर नए-नए वकील बने व्यक्ति से 20350 रुपये लिए जा रहे हैं। विधि व्यवसाय समाजसेवा का कार्य है। वर्तमान में विधि की पढ़ाई अत्यंत महंगी हो गई है। ऐसे में आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग के विद्यार्थियों के लिए विधि की पढ़ाई करना बहुत मुश्किल हो गया है। ये विद्यार्थी जैसे-तैसे पढ़ाई पूरी करने के बाद जब नामांकन के लिए राज्य अधिवक्ता परिषद के समक्ष जाते हैं तो उन्हें नामांकन के नाम पर मोटी रकम देना होती है।

नोटिस जारी कर मांगा जवाब

एडवोकेट एक्ट के प्रविधानों के अनुसार राज्य अधिवक्ता परिषद नामांकन शुल्क के रूप में सिर्फ 750 रुपये ले सकता है, लेकिन इससे कई गुना ज्यादा रकम ली जा रही है। पाठक ने बताया कि गुरुवार को आरंभिक तर्क सुनने के बाद हाई कोर्ट की युगलपीठ ने राज्य अधिवक्ता परिषद और बार कौंसिल आफ इंडिया को नोटिस जारी कर जवाब मांगा है।

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