ग्वालियर। ऐतिहासिक ग्वालियर शहर में राजशाही के समय बनाए बांधों और नहरों से किए वाटर मैनेजमेंट ने यूनेस्को को बहुत प्रभावित किया है। यहां के वीरपुर, रमौआ, मामा का बांध और तिघरा के माध्यम से शहर में होने वाली पानी की आपूर्ति ने ग्वालियर को देश का पहला ऐसा शहर बनाया है, जहां यूनेस्को द्वारा वाटर मैनेजमेंट का काम किया जाएगा।
इसके लिए अलग-अलग विभागों से डाटा लेकर एक जगह इकट्ठा किया जाएगा, जो भविष्य में बनने वाली पानी की आपूर्ति व उपयोग संबंधी योजनाओं में काम आ सकेगा। एक साल में ये प्रोजेक्ट पूरा करने के बाद देश के 150 अन्य शहरों में भी ये काम किया जाएगा।
सिंधिया रियासतकाल के समय पर ग्वालियर के चार कोनों पर चार बांध तैयार किए गए थे। इनमें बारिश का पानी संग्रहित किया जाता था। इन बांधों की टापोलाजी कुछ इस प्रकार थी कि एक बांध का पानी दूसरे में और दूसरे का पानी तीसरे में आता था। इससे शहर का भूजल स्तर बना रहता था।
वर्ष 1916 में शहर की 50 हजार की आबादी की पानी की जरूरत को पूरा करने तत्कालीन माधौ महाराज ने मैसूर रियासत के चीफ इंजीनियर सर मोक्षगुंडम विश्वैश्वरय्या से तिघरा बांध तैयार कराया था। यह भविष्य की तीन लाख आबादी को ध्यान में रखते हुए बनाया गया था।
यह आज 107 साल बाद भी 16 लाख की आबादी को पानी मुहैया करा रहा है। ग्वालियर नगर निगम के प्रोजेक्ट इंजीनियर शिशिर श्रीवास्तव ने यूनेस्को को ये पूरा डाटाबेस दिखाया था। इसमें कुओं-बावड़ियों की संख्या के साथ वाटर हार्वेस्टिंग सहित उपलब्ध पानी और प्रतिदिन उपयोग होने वाली पानी का डाटा मौजूद है।
इस आधार पर गत मंगलवार को यूनेस्को नई दिल्ली की प्रतिनिधि नेहा ने ग्वालियर में कार्यशाला कर बताया कि ग्वालियर पहला ऐसा शहर है, जहां यूनेस्को वाटर मैनेजमेंट का काम करेगा।
ऐसे होगा वाटर मैनेजमेंट
ग्वालियर के वाटर मैनेजमेंट का एकजाई प्लान तैयार कर शहर के पानी के डाटा को एकजाई किया जाएगा। इससे निकट भविष्य में कभी भी पानी को लेकर कोई योजना बनेगी तो सारा डाटा एक ही स्थान पर आनलाइन मिल सकेगा। इसके लिए एक पोर्टल व डैशबोर्ड भी तैयार किया जाएगा।
इसमें नगर निगम, जलसंसाधन विभाग, पीएचइ से डाटा एकत्रित किया जाएगा। यह प्रोजेक्ट पूर्ण होने पर देश के 150 अन्य शहरों में भी वाटर मैनेजमेंट की प्रकिया प्रारंभ की जाएगी।
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