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1 नहीं 10 गर्भगृह वाला अनोखा कल्कि धाम मंदिर, PM मोदी आज करेंगे शिलान्यास

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सोमवार को उत्तर प्रदेश के संभल जिले में कल्कि धाम मंदिर की आधारशिला रखेंगे। इस मंदिर का निर्माण श्री कल्कि धाम निर्माण ट्रस्ट द्वारा किया जा रहा है, जिसके अध्यक्ष आचार्य प्रमोद कृष्णम हैं। पीएम मोदी को इस कार्यक्रम में आचार्य प्रमोद कृष्णम ने आमंत्रित किया था, जिन्हें पार्टी विरोधी टिप्पणियों के कारण 6 साल के लिए कांग्रेस से निष्कासित कर दिया गया था।

शिलान्यास कार्यक्रम  सुबह लगभग 10:30 बजे शुरू होगा, जिसमें कई संत, धार्मिक नेता और अन्य गणमान्य व्यक्ति शामिल होंगे। इस अवसर पर पीएम मोदी द्वारा जनसभा को भी संबोधित भी किया जाएगा।भगवान कल्कि को प्रभु विष्णु का 10वां अवतार माना जाता है। कल्कि धाम को दुनिया का सबसे अनोखा मंदिर कहा जा रहा है क्योंकि कल्कि धाम पहला ऐसा धाम है जहां भगवान के अवतार लेने से पहले उनके मंदिर को स्थापित किया जा रहा है। वहीं, इस मंदिर में एक नहीं 10 गर्भगृह होंगे। भगवान विष्णु के 10 अवतारों के 10 अलग-अलग गर्भगृह स्थापित किए जाएंगे। श्री कल्कि धाम मंदिर परिसर पांच एकड़ में बनकर तैयार होगा, जिसमें 5 वर्ष का समय लगेगा

वहीं, पीएम के इस कार्यक्रम को लेकर सुरक्षा के कड़े इंतजाम किए गए हैं। मुख्य मंच के ठीक पीछे प्रधानमंत्री का चॉपर उतरने के लिए हैलीपैड बनाया जा रहा है और पूरे परिसर को एसपीजी ने सुरक्षा में ले लिया है। वहीं, समारोह परिसर को 3 खंड में बांटा गया है। मुख्य मंच के ठीक सामने VVIP मेहमान, VIP मेहमान और उसके बाद अन्य लोगों के बैठने की व्यवस्था की गई है। टेंट सिटी कल्किपुरम में देशभर से आ रहे साधु-संतों के ठहरने की व्यवस्था की गई है। करीब 11 हजार साधु-संत शिलान्यास समारोह में हिस्सा लेने के लिए पहुंच रहे है। सभी तैयारी पूरी हैं। कुल मिलाकर कल्कि धाम सनातन के नव उत्थान का गवाह बनने को तैयार है।

क्या है कल्कि मंदिर की खासियत ?
इस मंदिर का निर्माण भी राजस्थान के भरतपुर जिले में स्थित बंशी पहाड़पुर के गुलाबी पत्थरों से किया जा रहा है जिससे सोमनाथ मंदिर और अयोध्या के राम मंदिर का निर्माण किया गया है। इस मंदिर का शिखर 108 फीट ऊंचा होगा। 11 फीट के ऊपर मंदिर का चबूतरा बनेगा। मंदिर में 68 तीर्थों की स्थापना होगी, जबकि कहीं भी स्टील या लोहे का इस्तेमाल नहीं किया जाएगा। कल्कि धाम में भगवान कल्कि के नए विग्रह की स्थापना होगी, जबकि पुराना कल्कि पीठ यथावत बना रहेगा।

कौन हैं भगवान कल्कि?
पौराणिक मान्यताओं के अनुसार जब कलयुग में पाप अपने चरम पर होगा, तब भगवान विष्णु के 10वें अवतार कल्कि दुष्टों के नरसंहार के लिए अवतरित होंगे। अग्नि पुराण के 16वें अध्याय में कल्कि अवतार का चित्रण तीर-कमान धारण किए हुए एक घुड़सवार के रूप में किया गया है। इसमें भगवान कल्कि के घोड़े का नाम देवदत्त बताया गया है। पौराणिक मान्यताओं के अनुसार कलियुग 432000 वर्ष का है, जिसका अभी प्रथम चरण चल रहा है। जब कलयुग का अंतिम चरण शुरू होगा, तब कल्कि अवतार लेंगे। इस तरह संभल का कल्कि धाम दुनिया का पहला ऐसा धर्म स्थल होगा, जहां भगवान के जन्म से पहले ही उनकी मूर्ति स्थापित होगी।

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