भोपाल। मध्य प्रदेश में लगातार घटते जनाधार को बचाने के लिए बहुजन समाज पार्टी (बसपा) ने पहली बार किसी दल से गठबंधन किया है। पार्टी इस बार विधानसभा चुनाव में गोंडवाना गणतंत्र पार्टी (जीजीपी) के साथ मिलकर चुनाव लड़ने जा रही है। शहडोल संभाग के कुछ जिलों और महाकोशल क्षेत्र में गोंडवाना का वोट बैंक है। यहां बसपा का परंपरागत दलित वोट बैंक भी है। जीजीपी के साथ होने से बसपा का मत प्रतिशत बढ़ेगा।
तीन सीटों पर दूसरे या तीसरे नंबर पर थे जीजीपी के उम्मीदवार
पिछले चुनाव में जीजीपी के उम्मीदवार इस क्षेत्र की तीन सीटों पर दूसरे या तीसरे नंबर पर थे। ऐसे में दोनों पार्टियों को आस है कि गठजोड़ होने से यहां उन्हें लाभ मिलेगा। विंध्य और बुंदेलखंड के उत्तर प्रदेश से लगे जिलों में बसपा का वोट बैंक अपेक्षाकृत ठीक है, पर यहां जीजीपी का कोई प्रभाव नहीं है।
गठबंधन से विशेष लाभ मिलने की उम्मीद नहीं
ऐसे में गठबंधन से विशेष लाभ मिलने की उम्मीद नहीं है। उधर, यहां के आदिवासी वोट बैंक को साधने में भाजपा ने भी कोई कसर नहीं छोड़ी है। सतना में कोल समाज का महाकुंभ आयोजित किया गया था, जिसमें केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह शामिल हुए थे।
मोदी ने शुरू किया अभियान
आदिवासियों में होने वाली खून की कमी की बीमारी सिकल सेल एनीमिया के उन्मूलन के लिए शहडोल से प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने राष्ट्रीय अभियान शुरू किया था। कांग्रेस भी अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति वोट बैंक को अपने पक्ष में करने के लिए कोई कसर नहीं छोड़ रही है। जय युवा आदिवासी शक्ति संगठन (जयस), ओबीसी महासभा और भीम आर्मी भी बसपा के बड़े वोट बैंक को अपने पाले में खींच चुके हैं। भीम आर्मी का ग्वालियर-चंबल अंचल में अच्छा प्रभाव है।
वोट बैंक छिटकने की चिंता
ऐसे में इस क्षेत्र में भी बसपा और जीजीपी के गठजोड़ से कोई लाभ मिलने की उम्मीद नहीं है। ऐसे में बसपा को अपना वोट बैंक छिटकने की चिंता सता रही है। बसपा और गोगपा के पदाधिकारी इस गठबंधन को मतदाताओं के लिए तीसरा विकल्प बता रहे हैं। बसपा के प्रदेश प्रभारी और राज्यसभा सदस्य रामजी गौतम ने कहा कि चुनाव के पहले वह कुछ और छोटे दलों से गठबंधन कर सकते हैं। बसपा की राष्ट्रीय अध्यक्ष मायावती और राष्ट्रीय संयोजक आकाश आनंद की सभाएं भी प्रदेश में होंगी।
2018 के विधानसभा चुनाव में बसपा को मिले थे 5.1 प्रतिशत मत
प्रदेश में भाजपा और कांग्रेस के बाद बसपा ही ऐसा दल है, जिसका वोटबैंक पांच प्रतिशत से अधिक रहा है। 2003 के विधानसभा चुनाव में पार्टी के दो विधायक जीते थे और कुल वोट 7.26 प्रतिशत मिले थे। 2008 में 8.97 प्रतिशत मत मिले और सात विधायक जीते थे। जबकि, 2013 में मत प्रतिशत 6.29 प्रतिशत रहा और चार विधायक जीते। बसपा का मत प्रतिशत लगातार कम होता जा रहा है और अपने परंपरागत वोटबैंक पर पार्टी की पकड़ ढीली होती जा रही है। नगरीय निकाय चुनाव में भी मात्र 56 पार्षद चुनाव जीते।
पिछले चार आम चुनावों में बसपा की स्थिति
चुनाव वर्ष | सीटों पर लड़ी | जीत |
2018 | 227 | 2 |
2013 | 227 | 4 |
2008 | 228 | 7 |
2003 | 157 | 2 |
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