“सांख्यिकीय उत्कृष्टता के माध्यम से शासन को सशक्त बनाना – क्षमता विकास और सहयोग के 17 वर्ष”
राष्ट्रीय सांख्यिकी प्रणाली प्रशिक्षण अकादमी (एनएसएसटीए), सांख्यिकी एवं कार्यक्रम कार्यान्वयन मंत्रालय, भारत सरकार ने ग्रेटर नोएडा, उत्तर प्रदेश के महालनोबिस ऑडिटोरियम, एनएसएसटीए में अपना 17 वां स्थापना दिवस मनाया। यह उत्सव एनएसएसटीए के सांख्यिकीय प्रशिक्षण और क्षमता निर्माण में उत्कृष्टता के 17 वर्षों का प्रतीक है। इस वर्ष के उत्सव का विषय था “सांख्यिकीय उत्कृष्टता के माध्यम से शासन को सशक्त बनाना – क्षमता विकास और सहयोग के 17 वर्ष।” इस कार्यक्रम ने सांख्यिकीविदों और क्षेत्र के अधिकारियों को उन्नत कार्यप्रणाली से लैस करने, उच्च गुणवत्ता वाले डेटा संग्रह को सुनिश्चित करने में एनएसएसटीए की महत्वपूर्ण भूमिका को रेखांकित किया जो साक्ष्य-आधारित नीति निर्माण का समर्थन करता है।
समारोह की शुरुआत गणमान्य व्यक्तियों द्वारा दीप प्रज्ज्वलन के साथ हुई जिसके बाद सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय के ब्यूरो ऑफ आउटरीच एंड कम्युनिकेशन (बीओसी) द्वारा वंदना और संगीत वाद्ययंत्र का प्रदर्शन किया गया। सांख्यिकी एवं कार्यक्रम कार्यान्वयन मंत्रालय के अतिरिक्त महानिदेशक (सीडीडी) श्री केबी सुरवड़े ने स्वागत भाषण दिया और सांख्यिकी पेशेवरों को विकसित करने और डेटा संग्रह पद्धतियों को आधुनिक बनाने में एनएसएसटीए की भूमिका पर प्रकाश डाला। उन्होंने पारंपरिक और आधुनिक दृष्टिकोणों के मिश्रण के माध्यम से केंद्र, राज्य और केंद्र शासित प्रदेशों के साथ-साथ विकासशील देशों में सांख्यिकीय क्षमता को मजबूत करने में इसकी जिम्मेदारी पर जोर दिया। उन्होंने एनएसएसटीए के राष्ट्रीय और वैश्विक सहयोग, भारतीय डेटा शासन ढांचे और डेटा-संचालित और समृद्ध भारत को बढ़ावा देने की इसकी प्रतिबद्धता को भी रेखांकित किया, साथ ही सांख्यिकी एवं कार्यक्रम कार्यान्वयन मंत्रालय के प्रति उनके समर्थन के लिए आभार व्यक्त किया।
सांख्यिकी और कार्यक्रम कार्यान्वयन मंत्रालय के महानिदेशक (डीजी) श्री पी.आर. मेश्राम, आई.एस.एस. ने एन.एस.एस.टी.ए. के 17वें स्थापना दिवस को संबोधित करते हुए 2009 से सांख्यिकीय प्रणालियों को मजबूत बनाने में इसकी भूमिका पर प्रकाश डाला। उन्होंने वैश्विक संस्थाओं के साथ सहयोग के माध्यम से अंतर्राष्ट्रीय प्रतिभागियों सहित 4,000 से अधिक अधिकारियों को प्रशिक्षित करने के लिए क्षमता निर्माण में एन.एस.एस.टी.ए. के योगदान पर जोर दिया। सांख्यिकीविदों की उभरती भूमिका पर जोर देते हुए उन्होंने विकसित भारत 2047 का समर्थन करने के लिए तकनीकी दक्षता, नैतिक अखंडता और गतिशील कौशल का आह्वान किया। भारत में संयुक्त राष्ट्र के रेजिडेंट कोऑर्डिनेटर श्री शोम्बी शार्प ने आधिकारिक सांख्यिकी में क्षमता निर्माण और सांख्यिकीय उत्कृष्टता को बढ़ावा देने के लिए एन.एस.एस.टी.ए. के साथ संभावित सहयोग पर वैश्विक दृष्टिकोण पर प्रकाश डाला। भारत ने वैश्विक सांख्यिकीय क्षेत्र में महत्वपूर्ण योगदान दिया है, जिसमें प्रो. पी.सी. महालनोबिस जैसे अग्रदूतों ने आधुनिक रूपरेखाएँ बनाई हैं जो नीति निर्माण और शासन को आगे बढ़ाती हैं। सतत विकास लक्ष्यों (एस.डी.जी.) पर नज़र रखने के लिए सटीक और समय पर डेटा महत्वपूर्ण है जिसमें राष्ट्रीय संकेतक रूपरेखा (एन.आई.एफ.) और वैश्विक संकेतक रूपरेखा (जी.आई.एफ.) जैसे प्लेटफ़ॉर्म सूचित निर्णय लेने के लिए मज़बूत सांख्यिकी पर निर्भर करते हैं। जैसे-जैसे भारत विकसित भारत 2047 की ओर बढ़ रहा है संयुक्त राष्ट्र एक प्रतिबद्ध भागीदार बना हुआ है, तथा इस बात पर बल दे रहा है कि जटिल वैश्विक चुनौतियों से निपटने में डेटा को एक एकीकृत शक्ति के रूप में काम करना चाहिए।
क्षमता निर्माण आयोग (सीबीसी) के अध्यक्ष श्री आदिल जैनुलभाई ने क्षमता निर्माण आयोग के दृष्टिकोण को मजबूत करने में एनएसएसटीए के सहयोग और भूमिका पर बात की। एनएसएसटीए सक्रिय रूप से आईजीओटी और सीबीसी के साथ सहयोग करता है और एमओएसपीआई के फील्ड ऑपरेशन डिवीजन के साथ राष्ट्रीय शिक्षण सप्ताह (एनएलडब्ल्यू) के दौरान अनुकरणीय प्रदर्शन किया है, जिसमें उपयोगकर्ताओं का एक महत्वपूर्ण प्रतिशत 4+ सीखने के घंटे का लक्ष्य पूरा करता है।
उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि दुनिया तेजी से विकसित हो रही है जिससे विकसित भारत 2047 के दृष्टिकोण को साकार करने के लिए प्रौद्योगिकी को अपनाना जरूरी हो गया है। जैसे-जैसे डेटा संग्रह और सर्वेक्षण की गति तेज होती जा रही है, इस बात का पुनर्मूल्यांकन करने की जरूरत है कि सूचना का विश्लेषण कैसे किया जाए और उसका प्रभावी ढंग से उपयोग कैसे किया जाए। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि एआई और बृहद डेटा सांख्यिकीय अनुप्रयोगों में क्रांति ला रहे हैं। उन्होंने एआई प्रशिक्षण को निर्णय लेने की प्रक्रियाओं में एकीकृत करने और व्यापक डिजिटल अनुकूलन को बढ़ावा देने की आवश्यकता को रेखांकित किया। उन्होंने लोगों को रोजमर्रा के निर्णय लेने में डेटा को समझने और लागू करने में सक्षम बनाकर डेटा-संचालित शासन को आगे बढ़ाने में एनएसएसटीए की भूमिका पर प्रकाश डाला। डिजिटल लर्निंग के लिए आईजीओटी जैसे प्लेटफॉर्म का लाभ उठाते हुए उन्होंने कहा कि नीति कार्यान्वयन और शासन को बढ़ाने के लिए सभी सिविल सेवकों को आवश्यक सांख्यिकीय और तकनीकी दक्षताओं से लैस करने पर ध्यान केंद्रित किया जाना चाहिए।
इसी क्रम में, एनएससी के अध्यक्ष प्रो. राजीव लक्ष्मण करंदीकर ने क्षमता विकास में इसकी भूमिका और एआई तथा आधुनिक प्रौद्योगिकियों में डेटा के बढ़ते महत्व पर जोर दिया। उन्होंने इस बात पर प्रकाश डाला कि इन नवाचारों को अपनाए बिना, व्यक्ति और संस्थान अप्रचलन का जोखिम उठाते हैं। एआई मॉडल अंतर्दृष्टि के लिए विशाल डेटासेट पर निर्भर करते हैं, जिससे डेटा प्रासंगिकता के लिए अनुमानात्मक सांख्यिकी महत्वपूर्ण हो जाती है। जबकि एआई में राष्ट्रीय विकास के लिए बहुत संभावनाएं हैं, मानवीय बुद्धिमत्ता अभी भी महत्वपूर्ण है। उन्होंने डेटा की गलत व्याख्या करने के खिलाफ चेतावनी दी, निर्णय लेने में सही निर्णय की आवश्यकता पर बल दिया।