पूर्व विधायक गिरजाशंकर शर्मा विधायक व पूर्व विधानसभा अध्यक्ष डा सीतासरन शर्मा के बड़े भाई हैं। वह दो बार नगर पालिका अध्यक्ष भी रह चुके हैं। चुनाव के पहले उनके संगठन को छोड़ने को लेकर कई तरह के कयास लगाए जा रहे हैं। वर्ष 2018 में भी उन्होंने पार्टी से टिकट मांगा था, लेकिन टिकट नहीं मिलने से कांग्रेस में शामिल हो गए थे। पत्रकार वार्ता के दौरान शर्मा ने कहा कि कांग्रेस में उनकी बात हुई है, लेकिन फिलहाल वह कांग्रेस संगठन ज्वाइन नहीं करेंगे। शर्मा के संगठन से इस्तीफा देने के बाद कई तरह की चर्चाएं सामने आ रही हैं। वे जनसंघ से जुड़े हुए रहे हैं। शर्मा भाजपा के कद्दावर नेताओं में माने जाते हैं।
45 साल बीजेपी में रहने के बाद छोड़ी पार्टी
गिरिजा शंकर शर्मा 45 सालों से बीजेपी में शामिल थे। दूसरी बार पार्टी छोड़ने के सवाल के जवाब पर शर्मा ने कहा कि मैं चाहता हूं कि प्रदेश में भाजपा सरकार नहीं बने इसके लिए मैं हर संभव प्रयास करुंगा। उनका कहना है कि भाजपा को सत्ता में आने से रोकना हमारी मंशा। कांग्रेस से चर्चा हुई थी मगर अभी कुछ स्पष्ट नहीं है। कांग्रेस में अगर हमारे नाम पर सहमति नही बनेगी, तो फिर हम भी वहां नहीं जायेंगे। कांग्रेस भी किसी गलतफहमी में ना रहे क्योंकि बिना एकजुटता के उनकी राह भी आसान नहीं होगी।
दबाव की राजनीति
शर्मा परिवार का नर्मदापुरम की राजनीति में खासा दखल रहा है। गिरिजा शंकर शर्मा 2003, 2008 में चुनाव जीतकर विधायक बने थे। इसके बाद उनके भाई डा सीतासरन शर्मा पर पार्टी ने विश्वास किया और टिकट दिया। डा शर्मा पूर्व विधानसभा अध्यक्ष भी बने थे। गिरिजा शंकर शर्मा की पार्टी में छवि लगातार कम होती नजर आने लगी थी। 22 सालों से नर्मदापुरम विधानसभा की टिकट से शर्मा परिवार के सदस्य ही चुनाव लड़ते आ रहे हैं।
पार्टी ने दिए बदलाव के संकेत
गिरिजा शर्मा के इस्तीफे के साथ ही कई तरह के कयास लगाए जा रहे हैं। उनके छोटे भाई और वर्तमान में नर्मदापुरम विधायक पूर्व विधानसभा अध्यक्ष डा सीतासरन शर्मा को टिकट मिलने पर भी असमंजस की स्थित नजर आ रही है। सूत्रों की माने तो भाजपा ने उन्हें सांकेत दे दिए हैं कि अब नए चेहरों को पार्टी मौका देना चाहती है। हालांकि पूर्व विधायक या उनके परिवार के प्रभाव का परीक्षण 2014 के नपा चुनाव में ही हो चुका है जब उन्होंने भाजपा से बगावत करके नपा अध्यक्ष के लिए अपना प्रत्याशी खड़ा किया था और भारतीय जनता पार्टी के संगठन ने पूर्व विधायक के प्रत्याशी को धूल चटा दी थी।
आखिर कौन कर रहा उपेक्षा
गिरिजा शंकर शर्मा के इस्तीफे के साथ ही कई तरह की चर्चाएं सामने आ रही हैं, संगठन से जुड़े लोगों का कहना है कि शर्मा परिवार को भाजपा इतना कुछ देने के बाद भी लगातार पार्टी का विरोध किया जा रहा है। प्रश्न यह भी उठता है कि उनके भाई 5 बार के विधायक हैं, एक बार विधानसभा अध्यक्ष भी रह चुके हैं। नपा चुनावों में भी इनके परिवार के खास लोगों को टिकट दिया गया था फिर इनकी उपेक्षा कर कौन रहा था? बहरहाल पूर्व विधायक ने इस्तीफा देकर अपनी रणनीति साफ कर दी है।
नहीं दिख रह इस्तीफे का प्रभाव
राजनैतिक गलियारों में इस बार गिरिजा शंकर शर्मा के इस्तीफे का कोई बहुत प्रभाव नजर नहीं आ रहा है। बार-बार पार्टी छोड़ने की धमकाने की नीति कारगार नजर नहीं आ रही है। सवालों के जवाब में पूर्व विधायक ने कहा कि भारतीय जनता पार्टी में भ्रष्टाचार चरम सीमा पर है। वह प्रदेश में स्वच्छ और साफ सरकार को देखना चाह रहे हैं। प्रदेश में बेरोजगारी बढ़ रही है और महंगाई पर सरकार का कोई काबू नहीं है।
पार्टी का करेंगे काम
इस्तीफा देना सामान्य प्रक्रिया है, सब अपना निर्णय लेने के लिए स्वतंत्र हैं, इसलिए इससे अधिक कहना उचित नहीं होगा। इस पर संगठन विचार करेगा। हम तो पार्टी का काम करेंगे।
डा सीतासरन शर्मा, विधायक, नर्मदापुरम
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