हर गुजरते पल के साथ बढ़ती उम्मीदों और उत्साह के बीच भारत आज चांद पर नया इतिहास रचने को तैयार है। मून मिशन चंद्रयान-3 (Chandrayaan-3 Update) आज शाम 6 बजकर 4 मिनट पर चांद पर टच डाउन होगा। एक तरफ रूस का चंद्र मिशन लूना-25 (Luna-25) जो क्रैश हो चुका है लेकिन भारत ने इससे सबक सिखते हुए ISRO के वैज्ञानिक भी फूंक-फूंक कर कदम रख रहे हैं।
कछुए की गति से भी कम स्पीड में चंद्रयान-3 करेगा लैंड
चंद्रयान-3 की लैंडिंग दक्षिणी ध्रुव के पास होगी। वहीं, पहले जो चंद्रयान-3 अंतरिक्ष में 40 हजार किलोमीटर प्रतिघंटा की रफ्तार से चल रहा था, वहं अब लैंडिंग कछुए की गति से भी कम स्पीड में करेगा ताकि किसी भी तरह की गलती की गुंजाइश न हो।
Chandrayaan-3 LIVE Updates
-चंद्रमा पर सफलतापूर्व लैंड हुआ चंद्रयान3, भारत ने रचा इतिहास
-तीसरा चरण सफलतापूर्वक हुआ पूरा, सीधा हुआ लैंडर
–चंद्रमा से करीब 1 किमी दूर चंद्रयान3
-इसरो ने अपने हेडक्वार्टर से चंद्रयान-3 की लैंडिंग का लाइव टेलीकास्ट शुरु कर दिया है. इसरो ने इसे देश और दुनिया के लिए ऐतिहासिक क्षण बताया।
-अपनी अंतिम कक्षा में पहुंचा चंद्रयान लैंडर, निर्धारित जगह पहुंचेगा, जहां से शुरू होगी लैंडिंग।
– लैंडिंग की 50 फीसदी यात्रा पूरी हो गई है, अब केल 9 KM की दूरी बाकी
-साउथ अफ्रीका के जोहानसबर्ग में BRICS समिट के लिए पहुंचे पीएम मोदी वर्चुअली चंद्रयान-3 की लैंडिंग देखने के लिए जुड़ गए हैं.
इसरो का लाइव टेलीकास्ट देखें
इसरो के अधिकारियों के मुताबिक, लैंडिंग के लिए लगभग 30 किलोमीटर की ऊंचाई पर लैंडर ‘पॉवर ब्रेकिंग फेज’ में कदम रखता है और गति को धीरे-धीरे कम करके, चंद्रमा की सतह तक पहुंचने के लिए अपने चार थ्रस्टर इंजन की ‘रेट्रो फायरिंग’ करके उनका इस्तेमाल करना शुरू कर देता है। उन्होंने बताया कि ऐसा यह सुनिश्चित करने के लिए किया जाता है कि चंद्रमा के गुरुत्वाकर्षण के प्रभाव के कारण लैंडर ‘क्रैश’ न कर जाए। अधिकारियों के अनुसार, 6.8 किलोमीटर की ऊंचाई पर पहुंचने पर केवल दो इंजन का इस्तेमाल होगा और बाकी दो इंजन बंद कर दिए जाएंगे, जिसका उद्देश्य सतह के और करीब आने के दौरान लैंडर को ‘रिवर्स थ्रस्ट’ (सामान्य दिशा की विपरीत दिशा में धक्का देना, ताकि लैंडिंग के बाद लैंडर की गति को धीमा किया जा सके) देना है।
लैंडिंग से पहले लैंडर चेक करेगा चांद की सतह
अधिकारियों ने बताया कि लगभग 150 से 100 मीटर की ऊंचाई पर पहुंचने पर लैंडर अपने सेंसर और कैमरों का इस्तेमाल कर सतह की जांच करेगा कि कोई बाधा तो नहीं है और फिर सॉफ्ट-लैंडिंग करने के लिए नीचे उतरना शुरू कर देगा। इसरो के अध्यक्ष एस सोमनाथ ने हाल में कहा था कि लैंडर की गति को 30 किलोमीटर की ऊंचाई से अंतिम लैंडिंग तक कम करने की प्रक्रिया और अंतरिक्ष यान को क्षैतिज से ऊर्ध्वाधर दिशा में पुन: निर्देशित करने की क्षमता लैंडिंग का सबसे महत्वपूर्ण हिस्सा होगी।
इस चुनौती का करना पड़ेगा सामना
अधिकारियों के मुताबिक, सॉफ्ट-लैंडिंग के बाद रोवर अपने एक साइड पैनल का उपयोग करके लैंडर के अंदर से चंद्रमा की सतह पर उतरेगा, जो रैंप के रूप में कार्य करेगा। उन्होंने बताया कि लैंडिंग के बाद लैंडर को उसमें मौजूद इंजनों के चंद्रमा की सतह के करीब सक्रिय होने के कारण धूल की चुनौती का सामना करना पड़ सकता है। इसरो के अनुसार, चंद्रमा की सतह और आसपास के वातावरण का अध्ययन करने के लिए लैंडर और रोवर के पास एक चंद्र दिवस (पृथ्वी के लगभग 14 दिन के बराबर) का समय होगा। हालांकि, वैज्ञानिकों ने दोनों के एक और चंद्र दिवस तक सक्रिय रहने की संभावनाओं से इनकार नहीं किया है।
तय समय पर ही होगी लैंडिंग
ISRO ने ट्वीट कर बताया कि ऑटोमेटिक लैंडिंग सिस्टम शुरू करने के लिए पूरी तरह तैयार हैं. शाम करीब 17:44 बजे निर्धारित प्वाइंट पर लैंडर मॉड्यूल (LM) के पहुंचने का इंतजार किया जा रहा है. लाइव टेलीकास्ट 17:20 से शुरू होगा.
मिशन ऑपरेशन टीम कमांड देती रहेगी
लैंडिग से पहले ISRO कमांड सेंटर लगातार नजर बनाए हुए है। इसरो ने ट्वीट कर बताया कि ALS शुरू करने के लिए पूरी तरह तैयार है। लैंडर मॉड्यूल के निर्धारित जगह पर पहुंचने का इंतजार किया जा रहा है. ALS कमांड मिलने पर थ्रॉटलेबल इंजन एक्टिव होगा. मिशन ऑपरेशन टीम कमांड देती रहेगी.
चंद्रयान 3 की सॉफ्ट लैंडिंग के दौरान ISRO के सामने ये हैं तीन बड़ी चुनौतियां
– सबसे पहले लैंडर की स्पीड को कंट्रोल में रखना
दरअसल, पिछली बार तेज रफ्तार की वजह से लैंडर क्रैश हो गया था और इसरो से संपर्क टूट गया था, हाल ही में रूस के लूना-25 के साथ भी ऐसा ही हुआ।
– दूसरा सबसे बड़ा चैलेंज यह है कि लैंडर चंद्रयान-3 उतरते समय सीधा रहे….इसका सीधा चांद की सतह पर उतरना बेहद जरूरी है, वहीं तो संपर्क टूटने की आशंका है।
– वहीं तीसरी चुनौती है कि ISRO द्वारा सेलेक्ट की गई जगह पर ही लैंडिंग हो। पिछली बार ऊबड़-खाबड़ जगह से लैंडर टकराने की वजह से चंद्रयान-2 क्रैश हो गया था।
यहां देखें Chandrayaan-3 Landing Live Streaming
वहीं लोगों के लिए इसरो ने लाइव प्रसारण का भी इंतजाम किया है। चंद्रयान-3 की लैंडिंग का लाइव प्रसारण 23 अगस्त 2023 की शाम 5 बजकर 27 मिनट से शुरू हो जाएगा। इसे ISRO की वेबसाइट isro.gov.in YouTube पर देख सकते है और इसके अलावा youtube.com/watch?v=DLA_64yz8Ss इस लिंक पर देख सकते है और वहीं Facebook पर https://facebook.com/ISRO पर लाइव लैंडिंग देख सकते है।
चंद्रमा पर उतरने के साथ ही भारत ऐसा करने वाला विश्व का चौथा देश
चंद्रमा पर उतरने के साथ ही भारत ऐसा करने वाला विश्व का चौथा देश और चांद के दक्षिणी ध्रुव पर उतरने वाला पहला देश बन जाएगा। इससे पहले अमेरिका,रुस और चीन ऐतिहासिक करिश्मे को अंजाम दे चुके हैं। इसरो के मुताबिक सिस्टम की नियमित जांच हो रही है और मिशन ऑपरेशंस कॉम्प्लेक्स (MOX) ऊर्जा और उत्साह से भरा हुआ है। इसरो ने एक ट्वीट में कहा,‘‘चंद्रयान-3 मिशन तय समय पर है। सिस्टम की नियमित जांच हो रही है। सुचारू संचालन जारी है।” इसरो ने कहा,‘‘MOX ऊर्जा और उत्साह से भरपूर है! और इसका सीधा प्रसारण एमओएक्स / आईएसटीआरसी पर लैंडिंग ऑपरेशन 23 अगस्त, 2023 को 17:20 बजे शुरू होगा।”
सॉफ्ट लैंडिंग एक मुश्किल और चुनौतीपूर्ण कार्य
इसरो के सूत्रों ने कहा,‘‘चंद्रमा की सतह पर सॉफ्ट लैंडिंग के लिए लैंडर को 1.6 किमी प्रति सेकंड की गति के साथ लगभग 25 किमी की ऊंचाई से संचालित किया जाएगा।” इसरो वैज्ञानिकों का ध्यान चंद्रमा की गति के बाद से उस गति को कम करने पर होगा। साथ ही गुरुत्वाकर्षण बल भी एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा। कमांड अपलोड होने और टेलीमेट्री सिग्नल का विश्लेषण करने के दो घंटे बाद शाम 6.04 बजे लैंडर चंद्रमा पर उतरना शुरू कर देगा। सॉफ्ट लैंडिंग एक मुश्किल और चुनौतीपूर्ण कार्य है क्योंकि इसमें जटिल युद्धाभ्यासों की एक श्रृंखला शामिल होती है जिसमें रफ और फाइन ब्रेकिंग शामिल होती है।
लैंडिंग साइट की इमेजिंग की जाएगी
लैंडिंग से पहले सुरक्षित और खतरा-मुक्त क्षेत्रों का पता लगाने के लिए लैंडिंग साइट की इमेजिंग की जाएगी। लैंडर क्षैतिज स्थिति में चंद्रमा की ओर उतरेगा और इसरो टेलीमेट्री, ट्रैकिंग तथा कमांड नेटवर्क (ISTRAC), बेंगलुरु में एमओएक्स के वैज्ञानिक फाइन ब्रेकिंग के लिए कमांड तैनात करेंगे। लैंडर की स्थिति को ऊर्ध्वाधर में बदल दिया जाएगा और उस स्थिति में, यह चंद्रमा पर मंडराएगा, तस्वीरें लेगा, लैंडिंग क्षेत्र का सर्वेक्षण करेगा तथा सुरक्षित लैंडिंग स्थान पर निर्णय लेगा। इस बीच इसरो ने 19 अगस्त, 2023 को लगभग 70 किमी की ऊंचाई से लैंडर पोजिशन डिटेक्शन कैमरा (lpdc) द्वारा ली गई चंद्रमा की छवियों का ताजा सेट जारी किया।
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