Shazar Stone– बांदा की केन नदी में पाये जाने वाले पत्थर शजर की देश भर में खासी डिमांड है, आभूषणों से लेकर कलाकृतियों के निर्माण में होता है इनका इस्तेमाल
बुंदेलखंड के बांदा जिले की केन नदी प्रदेश की इकलौती और देश की दूसरी नदी है जो पत्थरों में ‘रंगीन चित्रकारी’ करती है। इस नदी में मिलने वाले दुर्लभ पत्थर बेहद खूबसूरत होते हैं जो अपने भीतर दिखने वाली खूबसूरती के लिए मशहूर हैं। इन पत्थरों को ‘शजर’ (Shazar Stone) कहा जाता है। फारसी में शजर पेड़ (Shazar Stone Meaning) को कहा जाता है। खास बात यह है कि कोई भी दो शजर पत्थर (Sajar Pathar) एक जैसे नहीं होते, मतलब हर एक पत्थर में अलग-अलग चित्रकारी। दुनिया भर में शजर पत्थर सिर्फ भारत की दो नदियों केन और नर्मदा में ही पाये जाते हैं। अरब देशों में इस पत्थर को ‘हकीक’ और भारत में ‘स्फटिक’ कहते हैं। इन दिनों Shazar Stone Online खरीदे व बेचे जा रहे हैं।

शौकीन लोग अंगूठी में जड़वाते हैं
शजर पत्थरों का इस्तेमाल आभूषणों, कलाकृति जैसे ताजमहल, सजावटी सामान व अन्य वस्तुएं जैसे वाल हैंगिंग में लगाने के काम में प्रयोग होता है। मुगलकाल में शजर पत्थरों के इस्तेमाल से बेजोड़ कलाकृतियां बनाई गईं। बांदा और लखनऊ (Shazar Stone Lucknow) में शजर पत्थर से बने आभूषणों (Shazar stone Jewellery) का बड़ा कारोबार होता है। शौकीन लोग इसे अंगूठी में नग के तौर पर भी जड़वाते हैं। राष्ट्रीय पुरस्कार प्राप्त हस्तशिल्पी द्वारका प्रसाद सोनी बताते हैं कि शजर पत्थर की पहले कटाई और घिसाई होती हैं, जिसके बाद इसे मनचाहे आकर में ढाला जाता है। सोने चांदी में जड़ने के बाद शजर की कीमत और बढ़ जाती है।
शजर पत्थर को ब्रिटेन ले गई थीं महारानी विक्टोरिया
ईस्ट इंडिया कंपनी के शासनकाल में ब्रिटेन की महारानी क्वीन विक्टोरिया (Queen Victoria) के लिए दिल्ली दरबार में नुमाइश लगाई गई थी। इसमें रानी विक्टोरिया को शजर पत्थर इतना पंसद आया था वह इसे अपने साथ ब्रिटेन भी ले गई थीं।