ग्वालियर: अक्टूबर माह के मध्य में पितरों की विदाई के साथ ही नवदुर्गा का आगमन होगा। आदिशाक्ति की आराधना का पर्व नवरात्र 15 अक्टूबर से प्रारंभ होगा। शारदीय नवरात्र में इस वर्ष देवी के नौ स्वरूपों क आराधना होगी। इस वर्ष शरदीय नवरात्र की शुरुआत रविवार से हो रही है और आदिशक्ति का आगमन हाथी पर होगा। और प्रस्था मुर्गा पर होगा। देवी का आगमन और विदाई दोनों शुभ और फलदायी है।
ज्योतिषाचार्य डा सतीश सोनी ने बताया कि नवरात्रि में मां के 9 स्वरूपों की आराधना से होगी। शक्ति और सामर्थ की प्राप्ति नौ दिनों का होगा नवरात्र, 15 अक्टूबर से होगी। शुरुआत शारदीय नवरात्र में मां दुर्गा नौ दिनों तक भक्तों पर अपना आशीष बरसाएंगी। भक्तों को शक्ति की आराधना के लिए इस बार पूरे 9 दिन मिलेंगे। शारदीय नवरात्रि की शुरुआत रविवार से हो रही है। और माता का आगमन हाथी पर हो रहा है। और प्रस्थान मुर्गा पर होगा। माता का आगमन और प्रस्थान दोनों ही शुभदायक है। ग्रह गोचर गणना से इस दिन सूर्य, बुध का कन्या राशि में गोचर रहेगा। जो बुध आदित्य योग का निर्माण करेगा। जो भक्तों में पराक्रम, प्रतिष्ठा में वृद्धि के लिए साधना के लिए विशेष लाभ प्राप्त प्रदान करेगा।
कलश स्थापना
रविवार सुबह 11:40 से दोपहर 12:30 तक कलश स्थापना का सबसे अच्छा मुहूर्त रहेगा। कलश स्थापना चित्रा नक्षत्र एवं बेधृति योग के संयोग में होगी। स्थापना के बाद दुर्गा सप्तसती पाठ रामचरितमानस पाठ, राम रक्षा स्त्रोत पाठ, दुर्गा सहस्त्रनाम पाठ आरंभ होंगे। नवरात्रि 15 अक्टूबर से 23 अक्टूबर तक रहेंगे। 22 तारीख को महाष्टमी 23 को महानवमी के साथ 24 अक्टूबर को विजयदशमी यानी दशहरा का पर्व मनाया जाएगा। माता की हाथी की सवारी सुख समृद्धि और ज्ञान की प्रतीक मानी जाती है। ऐसे में मां दुर्गा पृथ्वी के लिए सुख समृद्धि और खुशहाली लेकर आएंगी। नवरात्रि के लिए शहर भर में तैयारी हुई। शुरू नवरात्रि को लेकर शहर भर में तैयारियां शुरू हो चुकी हैं। शहर से लेकर गांव तक पूजा पंडालों के निर्माण के साथ ही मूर्तियों को भी अंतिम रूप दिया जा रहा है। शहर में एक तरफ ऊंची ऊंची प्रतिमा स्थापित होगी। वहीं दूसरी तरफ थीम आधारित पंडालों के निर्माण पर खास ध्यान दिया जा रहा है।
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