ब्रेन डेड मरीजों के स्वजन को अंगदान के लिए आगे आना चाहिए। ब्रेन डेड मरीजों के अंगों में यकृत, गुर्दे, अग्नाशय, फेफड़े, आंत, ह्दय जैसे अंगों का दान किया जा सकता है। इसी तरह आंखें, ह्दय वाल्व, रक्त वाहनियां, त्वचा, हड्डी समेत कुछ अन्य ऊतकों का भी दान किया जा सकता है। अंगदान जीवित रहते तथा मृत्यु उपरांत भी किया जा सकता है। जीवित रहते हुए गुर्दे का दान किया जाता है।
आंख, किडनी, लीवर, फेफड़ा, ह्दय, आंत, पैंक्रियाज आदि का दान मृत्यु उपरांत किया जा सकता है। 18 वर्ष या इससे अधिक अायु के लोग अंगदान कर सकते हैं। शरीर के अलग-अलग अंगों के लिए अंगदान की उम्र सीमा अलग-अलग होती है। चिकित्सक जब किसी मरीज को ब्रेन डेड घोषित कर देता है तो इसका सीधा सा आशय यह होता है कि मरीज का मस्तिष्क काम नहीं कर रहा है। ऐसे मरीजों के स्वजन को अंगदान के लिए आगे आना चाहिए। रीनल ट्रांसप्लांट के जरिए ऐसे मरीज जीवन-मृत्यु के बीच संघर्ष कर रहे दूसरे मरीज को नया जीवन दे सकते हैं।
तीन मरीजों के सफलतापूर्वक किए जा चुके हैं किडनी ट्रांसप्लांट
नेताजी सुभाष चंद्र बोस मेडिकल कालेज सुपर स्पेशियलिटी अस्पताल में तीन मरीजों के सफलतापूर्वक किडनी ट्रांसप्लांट किए जा चुके हैं। क्रानिक किडनी डिसीज में जब मरीज की दोनों किडनी खराब हो जाती हैं तो किडनी ट्रांसप्लांट की जरूरत होती है। क्योंकि ऐसे मरीजों को नियमित रूप से डायलिसिस की जरूरत पड़ती है। किडनी प्रत्यारोपण से डायलिसिस से राहत दी जा सकती है। किडनी प्रत्यारोपण किसी मरीज को उपहार में जिंदगी देने के समान है। समाज में अंगदान के प्रति जागरूकता का अभाव देखा जा रहा है।
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