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अंग्रेजों की शिक्षण पद्धति बदलने की जरूरत, पढ़ाई के साथ कौशल पर देना होगा ध्यान

इंदौर। स्कूलों में अंग्रेजों की शिक्षण पद्धति से विद्यार्थियों को बरसों से पढ़ाया जाता है। अब यह पद्धति बदलना होगी, क्योंकि पढ़ाई का तरीका काफी पुराना हो चुका है। इससे विद्यार्थी सिर्फ शिक्षित कहलाते हैं। उनका व्यक्तित्व विकास नहीं होता है। यह स्थिति अकेले भारत के स्कूलों की नहीं है। ऐसा हाल एशिया और अफ्रीका देशों में देखने को मिलता है, जहां पर अंग्रेजों ने राज किया है। अब राष्ट्रीय शिक्षा नीति (एनईपी) को लागू करने का उचित समय आ चुका है। मगर नीति से जुड़े पहलुओं को धीरे-धीरे स्कूली शिक्षा में जोड़ा जाएगा।

यह बात सीबीएसई दिल्ली के अकादमी निदेशक डा. जोसेफ इमैनुअल ने कही। मंगलवार को सीबीएसई स्कूल के समूह सहोदय ग्रुप आफ इंदौर के तत्वावधान में राज्यस्तरीय जी-20 एवं राष्ट्रीय शिक्षा नीति (एनईपी) का सम्मेलन डेली कालेज में शुरू हुआ। यह सम्मेलन इंदौर सहोदय समूह एवं एक्सप्रेशंस इंडिया व द नेशनल लाइफ स्किल्स एंड स्कूल वेलनेस प्रोग्राम के सहयोग से किया गया।

एक साथ सारे बदलाव संभव नहीं

डा. इमैनुअल ने कहा कि शिक्षा का स्तर सुधारने और गुणवत्ता को लेकर केंद्र सरकार ने राष्ट्रीय शिक्षा नीति बनाई है। अब स्कूलों में एनईपी को लागू किया जा रहा है, लेकिन एक साथ सारे बदलाव करना संभव नहीं है। धीरे-धीरे शिक्षा में बदलाव करेंगे, ताकि शिक्षक और विद्यार्थी आसानी से समझ सकेंगे। नई नीति से विद्यार्थियों की दृष्टि से काफी अहम है, क्योंकि शिक्षा देने के अलावा छात्र-छात्राओं के व्यक्तित्व को भी निखारने पर भी ध्यान दिया है। शिक्षा के माध्यम से विद्यार्थियों को बेहतर नागरिक बनाना है। इससे वह समाज को नई दिशा देने का काम कर सके।

पहले शिक्षकों को समझना होगी नीति

डा. इमैनुअल ने कहा, एनईपी को लागू करने में थोड़ी दिक्कतें इसलिए है, क्योंकि स्कूलों में पुरानी पद्धति से शिक्षक पढ़ाते है। विद्यार्थियों से पहले इन्हें नीति को समझना होगा। अपने पढ़ाने के तरीके में भी बदलाव करना है। अभी विद्यार्थी को 80-90 प्रतिशत अंक मिलते ही स्कूल उन्हें प्रमुख विषय दिलवाने के लिए काउंसलिंग में जुट जाते हैं, लेकिन विद्यार्थी की स्किल क्या है, इस पर ध्यान नहीं देते। उन्होंने कहा कि मौजूदा शिक्षा पद्धति में वर्तमान परिस्थितियों को ध्यान में रखकर विद्यार्थियों को जाब मार्केट के लिए तैयार किया जाता है। मगर नई नीति में अगले पांच से सात साल बाद की परिस्थितियों को लेकर विद्यार्थियों को पढ़ाएंगे, ताकि वे भविष्य को देखकर तैयार हो सकें।

सभी सीबीएसई स्कूलों के डायरेक्टर और प्रिंसिपल हुए शामिल

कार्यक्रम में विशेष अतिथि कौशल शिक्षा के निदेशक डा. विश्वजीत साहा थे। अतिथियों का अभिनंदन इंदौर सहोदय ग्रुप की चेयरपर्सन इसाबेल स्वामी एवं समन्वयक श्यामली चटर्जी ने किया। शिक्षा के क्षेत्र में होने वाले इस प्रथम महाकुंभ में प्रदेश के सभी सीबीएसई स्कूल के डायरेक्टर और प्रिंसिपल ने भाग लिया। साथ ही विद्यालयों से शिक्षक और विद्यार्थी भी शामिल हुए। सम्मेलन में विद्यार्थियों ने कौशल शिक्षा पर आधारित ज्ञानवर्धक प्रदर्शनी में भाग लिया। छह प्रमुख स्किल्स डेवलपमेंट पर परिचर्चा हुई। इसमें डांस, म्यूज़िक, क्विज, पेंटिंग, युवा संसद, नुक्कड़ की पाठशाला हैं। संचालन पूनम शेखावत एवं रेणु मुले ने किया। आभार सुमन कोचर ने माना।

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