केवल लोक लुभावन योजनाओं की चर्चा
अब चुनावी चर्चा हो रही है तो केवल लोक लुभावन योजनाएं यानी ‘आर्थिक लाभ’ वाली योजनाओं की। दी जा रही गारंटी में सिर्फ सरकारी योजनाओं में रकम बढ़ाने की प्रतिस्पर्धा है।
लाड़ली बहना के जवाब में नारी सम्मान योजना
कर्मचारियों को दिखाए जा रहे सपने
कर्मचारियों को पुरानी पेंशन योजना का लाभ, किसानों का दो लाख रुपये का कर्ज माफ और सौ यूनिट बिजली बिल माफ- दो सौ यूनिट हाफ जैसे लुभावने सपने दिखाए जा रहे हैं। यही वजह है कि गारंटी और वादों के सपनों में विकास के मुद्दे गुम हो गए हैं।
इस बार जुदा हैं हालात
2003 में जिन मुद्दों पर कांग्रेस को हराकर भारतीय जनता पार्टी सरकार में आई थी, उससे हालात अब जुदा हैं। चमचमाते राष्ट्रीय राजमार्ग के साथ प्रदेश में इंफ्रास्ट्रक्चर के क्षेत्र में अभूतपूर्व काम हुआ है। सिंचाई क्षमता सात से बढ़कर 45 लाख हेक्टेयर हो गई। किसानों को खेती के लिए आठ घंटे तथा घरेलू उपभोक्ताओं को बिजली 24 घंटे मिल रही है। जलजीवन मिशन से पेयजल के संकट में कमी आई है।
लाड़ली लक्ष्मी, लाड़ली बहना, संबल जैसी सामाजिक परिवर्तन की योजनाएं लोगों के जीवनस्तर में बदलाव ला रही हैं। आम लोगों की नजर में भी विकास मुद्दा तो है लेकिन मप्र के विकास से लोग संतुष्ट हैं। हां, महंगाई से जरूर लोग नाराज हैं और वे चाहते हैं कि जिस तरह से गरीब वर्ग को रियायतें दी जा रही हैं, यह मध्यम वर्ग को भी उपलब्ध कराई जाएं।
इनका कहना है
इस चुनाव को कांग्रेस और राहुल गांधी जाति की राजनीति के आधार पर लड़वाना चाहते हैं, जो हम होने नहीं देंगे। भाजपा सरकार के कार्यकाल में जो विकास हुआ है, भारतीय जनता पार्टी सिर्फ और सिर्फ उसी विकास एवं सुशासन के मुद्दे पर चुनाव लड़ेगी।
– डा दीपक विजयवर्गीय, वरिष्ठ नेता भाजपा।
भाजपा का प्रयास है कि प्रधानमंत्री का चेहरा आगे करके प्रदेश में जो प्रमुख मुद्दे हैं, उनसे जनता ध्यान भटकाया जाए पर ऐसा नहीं होगा। महंगाई, बेरोजगारी, भ्रष्टाचार, महिलाओं का उत्पीड़न, अनुसूचित जाति-जनजाति वर्ग पर हो रहे अत्याचार प्रमुख मुद्दे हैं और रहेंगे।
– केके मिश्रा, अध्यक्ष प्रदेश कांग्रेस मीडिया विभाग
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