अनूपपुर। जिला जेल से एक विचाराधीन कैदी को जिला अस्पताल उपचार हेतु भर्ती कराया गया, जहां कुछ देर बाद कैदी की मौत हो गई। बुधवार सुबह स्वजनों ने जिला अस्पताल पहुंचकर जेल प्रशासन के खिलाफ हंगामा शुरू कर दिया था। पुलिस और प्रशासनिक अधिकारी अस्पताल पहुंचे लेकिन मृतक के स्वजनों ने मामले को लापरवाही बताते हुए शव घर ले जाने से इंकार कर दिया शाम तक शव अस्पताल में ही रहा और स्वजन तथा ग्रामीण पूरे दिन अस्पताल में ही मौजूद रहे।
जेल में जहर देने का आरोप
मृतक का नाम मूलचंद पिता रिखी राम विश्वकर्मा 39 वर्ष निवासी ग्राम सोनमौहरी है। मंगलवार – बुधवार रात करीब 12:20 बजे जिला अस्पताल अनूपपुर जेल विभाग के कर्मचारी लेकर आए थे जहां 1:15 पर मौत हो गई वजह बताई गई कि सीने में तकलीफ थी। इस मामले में बेटी ने गंभीर आरोप लगाते हुए कहा कि पिता को जिला जेल में जहर दिया गया है।
हृदय गति रुकने से कैदी की मौत
इस पूरे मामले में अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक शिवशंकर सिंह ने कहा कि हृदय गति रुकने से जिला अस्पताल में इलाज के दौरान कैदी की मौत हुई है। कैदी की मौत किन परिस्थितियों में हुई जांच मजिस्ट्रियल द्वारा की जाएगी।शव का पोस्टमार्टम तीन डाक्टरों की टीम द्वारा किया गया है। जानकारी अनुसार विचारधीन कैदी मूलचंद विश्वकर्मा मारपीट के मामले में धारा 307 के तहत आरोपित लगभग दो माह से जेल में था।
मारपीट के मामले में हुई थी जेल
रात में ही मृतक के बारे में सूचना स्वजनों को दी गई। इस दौरान अस्पताल में बड़ी संख्या में पुलिस बल भी तैनात रहा हालांकि स्थिति नियंत्रण में रही। स्वजन इस बात पर अड़े थे कि बीते दो माह पहले जब मारपीट की घटना थाने में पहुंची थी तो पुलिस के द्वारा एक तरफा कार्रवाई की गई। जिस कैदी को गिरफ्तार कर जेल भेजा गया था उसके सर में चोट थी लेकिन उसका इलाज नहीं कराया गया।
जेल के सीसीटीवी फुटेज की मांग
पुलिस के द्वारा मूलचंद के खिलाफ धारा 307,294, 323, 506 के तहत मामला पंजीबद्ध किया गया था जबकि दूसरे पक्ष के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की गई। बताया गया कि बुधवार को अनूपपुर कोर्ट में कैदी मूलचंद के जमानत अर्जी लगाई जानी थी। स्वजन जिला जेल की सीसीटीवी फुटेज की भी मांग कर रहे हैं उनका कहना है कि मामला संदिग्ध है।
बताया गया इस मामले के बाद न्यायालय से सीजीएम महेंद्र सिंह उईके, प्रथम श्रेणी वर्ग एक न्यायाधीश शिवानी असाटी, एसडीम दीपशिखा भगत, तहसीलदार, एसडीओपी अनूपपुर पहुंचे थे और मृतकेश्वर जनों को निष्पक्ष जांच कार्रवाई का आश्वासन दिया था बावजूद स्वजन शव ले जाने को तैयार नहीं थे उनकी मांग थी कि 50 लाख रुपए और घर के एक सदस्य को नौकरी दी जाए जिस पर बात नहीं बनी थी।
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