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ऑक्सीजन सिलेंडर का गोदाम-संकरी सीढ़ी… दिल्ली के इस बेबी केयर सेंटर पर उठ रहे सवाल, आग लगने से गई 7 नवजातों की जान

दिल्ली के विवेक विहार में एक बेबी केयर सेंटर में भीषण आग लग गई. आग लगने से गई 7 नवजातों की जान चली गई. इस घटना के बाद इस बेबी केयर सेंटर को लेकर कई सवाल उठ रहे हैं. बताया जा रहा है कि विवेक विहार का बेबी केयर सेंटर की बिल्डिंग 1080 स्क्वायर फीट के एरिया में है. बिल्डिंग इतने छोटे एरिया में है कि अगर आग लग जाए तो बाहर निकलना भी मुश्किल हो.

ऑक्सीजन सिलेंडर का गोदाम-संकरी सीढ़ी

बिल्डिंग से बाहर आने के लिए सिर्फ एक संकरी सी सीढ़ी है. लोगों का ये भी कहना है कि ये कोई बेबी केयर सेंटर नहीं बल्कि ऑक्सीजन सिलेंडर का गोदाम था. यहां पर बड़ी संख्या में सिलेंडर आते थे और रिफिल भी किए जाते थे. जिस केयर सेंटर में 12 से 14 बच्चे थे, वहां पर इतने सिलेंडर का क्या काम? जब आग लगी तो सिलेंडर ब्लास्ट हुए और दूर दूर तक जाकर गिरे.

धुएं का गुबार देख काफी डर गए लोग

सिलेंडर फटकर आसपास की बिल्डिंग तक में चले गए. धुएं का गुबार देख लोग काफी डर गए. इस घटना के बाद बच्चों के परिजनों का रो रोकर बुरा हाल है. दिल्ली पुलिस ने बेबी केयर न्यू बॉर्न हॉस्पिटल के मालिक नवीन चींचीं के खिलाफ FIR दर्ज कर ली है. IPC की धारा 336, 304A और 34 के तहत मामला दर्ज किया गया है. बेबी केयर सेंटर में आगजनी की ये घटना शनिवार रात करीब 11.32 बजे हुई थी.

आग लगने से 7 नवजातों की गई जान

घटना के बाद यहां एकदम से अफरा तफरी मच गई. फायर ब्रिगेड की टीम को बुलाया गया. बड़ी मशक्कत के बाद आग पर काबू पाया गया. नवजात बच्चों को रेस्क्यू कर एम्बुलेंस से इलाज के लिए पूर्वी दिल्ली एडवांस NICU अस्पताल ले जाया गया. जिन 12 बच्चों को रेस्क्यू किया गया था, उनमें से 7 नवजातों की मौत हो गई है. आग क्यों और कैसे लगी, इसका पता अभी तक नहीं लग पाया है.

ऑक्सीजन सिलेंडर से ही लगी थी आग

भगत सिंह सेवा दल के पद्मश्री जितेंद्र सिंह शंटी ने इस हादसे पर कहा कि 120 गज की इस बिल्डिंग में बाहर निकलने का भी ठीक से रास्ता नहीं है. यहां पर क्या कोई फायर सेफ्टी के नॉर्म्स फॉलो क्या हो रहे थे? वो तो आप खुद ही देख देख सकते हैं. ऑक्सीजन सिलेंडर से ही आग लगी. सिलेंडर फटने की आवाज बहुत तेज थी. दो किलोमीटर तक सिलेंडर फटने की आवाज गई.

बच्चों को निकालने का कोई रास्ता नहीं था

बच्चों को निकालने का कोई रास्ता नहीं था. हमने पीछे वाली विंडो के शीशे तोड़े तब जाकर एक-एक बच्चे को निकाला. बच्चों के पाइप लगी हुई थी, उन पाइप को निकालने में भी डर लग रहा था. लेकिन हमने निकाला और एक ह्यूमेन चेन बनाकर एक दूसरे के हाथों में बच्चे को देते रहे फिर तुरंत उन्हें अस्पताल पहुंचाया.

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