तबादले के बाद इन दिनों विभाग में एक आइपीएस की खूब चर्चा है। साहब से अभी तक केवल आवेदक और अनावेदक ही परेशान थे पर अब तो अफसर भी परेशान हो रहे हैं। साहब जाते-जाते आफिस का कंप्यूटर भी ले गए। कंप्यूटर के साथ गोपनीय फाइलें भी चली गई। पूर्वी क्षेत्र में पदस्थ रहे साहब की पहले भी खूब चर्चा होती रही है। तबादले के बाद नए एडीसीपी आए तो कारनामे भी उजागर हो गए। पता चला कि साहब काम के नाम पर लोगों का एडवांस भी ले गए हैं। अब देने वाले दफ्तरों में चक्कर लगा रहे हैं। एडीसीपी ने बड़े अफसरों तक खबर की और उन सब पर जिलाबदर व रासुका लगवा दी जो साहब के कैबिन में आराम फरमाते थे। एडीसीपी ने यह बात भी बता दी कि साहब आफिस का कंप्यूटर ले गए जिसमें विभागीय जांच और थानों से आए आवेदन पत्रों का रिकार्ड दर्ज था।
इंटेलिजेंस की रिपोर्ट और जयस से तनाव
अफसरों को गुमराह कर रहे थाना प्रभारी
गुंडा विरोधी अभियान में थाना प्रभारियों ने रोटियां सेंकने में कोई कसर नहीं छोड़ी। छोटे-मोटे अपराधियों के साथ फोटो खिंचवाए और वाहवाही लूटते रहे। बड़े अपराधियों को या तो पकड़ा नहीं या फिर सुनियोजित तरीके से घरों से गायब कर दिए गए। जोन-4 में तो एक थाना प्रभारी सूचीबद्ध बदमाश के घर पहुंचे और नोटिस देकर लौट आए। साहब की तस्वीर इंटरनेट मीडिया पर जारी हुई तो सफाई देते हुए कहा कि वह उसकी शोहरत से वाकिफ नहीं थे। कबूतरखाना हत्याकांड में भी टीआइ पर आरोप लगे हैं। एमआर शानू की हत्या का मुख्य आरोपित रीजवान क्षेत्र में रुका था बल्कि ड्रग्स और जुआं का अड्डा भी चलवा रहा था। जोन-1 के टीआइ ने भी अफसरों को गुमराह करने में कसर नहीं छोड़ी। सूचीबद्ध बदमाश को जुआं कांड में पकड़ा और थाने में मेहमाननवाजी की। गंभीर अपराध होने के बाद भी थाने से रवाना कर दिया।
डीजीपी के रिटायर होने का इंतजार
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