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कंप्यूटर के साथ गोपनीय रिपोर्ट भी ले गए साहब

तबादले के बाद इन दिनों विभाग में एक आइपीएस की खूब चर्चा है। साहब से अभी तक केवल आवेदक और अनावेदक ही परेशान थे पर अब तो अफसर भी परेशान हो रहे हैं। साहब जाते-जाते आफिस का कंप्यूटर भी ले गए। कंप्यूटर के साथ गोपनीय फाइलें भी चली गई। पूर्वी क्षेत्र में पदस्थ रहे साहब की पहले भी खूब चर्चा होती रही है। तबादले के बाद नए एडीसीपी आए तो कारनामे भी उजागर हो गए। पता चला कि साहब काम के नाम पर लोगों का एडवांस भी ले गए हैं। अब देने वाले दफ्तरों में चक्कर लगा रहे हैं। एडीसीपी ने बड़े अफसरों तक खबर की और उन सब पर जिलाबदर व रासुका लगवा दी जो साहब के कैबिन में आराम फरमाते थे। एडीसीपी ने यह बात भी बता दी कि साहब आफिस का कंप्यूटर ले गए जिसमें विभागीय जांच और थानों से आए आवेदन पत्रों का रिकार्ड दर्ज था।

इंटेलिजेंस की रिपोर्ट और जयस से तनाव

चुनावी सरगर्मी आते ही इंटेलिजेंस भी सक्रिय हो गया है। इंटेलिजेंस ने जयस से सावधान रहने की सलाह दी है। जयस की अगवानी पूर्व अफसर कर रहे हैं जो वर्षों तक पुलिस-प्रशासनिक विभाग में सेवा दे चुके हैं। जयस की पांच दिन पूर्व ही चोरल क्षेत्र में गोपनीय बैठक हुई है। करीब 500 लोगों की उपस्थिति में जयस नेताओं ने भाजपा और कांग्रेस के उम्मीदवार को समर्थन देने व न देने पर चर्चा की। रिपोर्ट के मुताबिक, ग्रामीण क्षेत्र से उम्मीदवारी जता रहे एक नेता को समर्थन देने पर भी जोरदार तरीके से विचार हुआ। भाजपा समर्थित यह नेता आरएसएस पृष्ठभूमि के हैं और टिकट की मांग कर रहे हैं। इस विधानसभा से वर्तमान विधायक का उनके पीए के कारण भारी विरोध हो रहा है। रिपोर्ट में तो विधायक और पीए के संबंध में भी जिक्र किया गया है।

अफसरों को गुमराह कर रहे थाना प्रभारी

गुंडा विरोधी अभियान में थाना प्रभारियों ने रोटियां सेंकने में कोई कसर नहीं छोड़ी। छोटे-मोटे अपराधियों के साथ फोटो खिंचवाए और वाहवाही लूटते रहे। बड़े अपराधियों को या तो पकड़ा नहीं या फिर सुनियोजित तरीके से घरों से गायब कर दिए गए। जोन-4 में तो एक थाना प्रभारी सूचीबद्ध बदमाश के घर पहुंचे और नोटिस देकर लौट आए। साहब की तस्वीर इंटरनेट मीडिया पर जारी हुई तो सफाई देते हुए कहा कि वह उसकी शोहरत से वाकिफ नहीं थे। कबूतरखाना हत्याकांड में भी टीआइ पर आरोप लगे हैं। एमआर शानू की हत्या का मुख्य आरोपित रीजवान क्षेत्र में रुका था बल्कि ड्रग्स और जुआं का अड्डा भी चलवा रहा था। जोन-1 के टीआइ ने भी अफसरों को गुमराह करने में कसर नहीं छोड़ी। सूचीबद्ध बदमाश को जुआं कांड में पकड़ा और थाने में मेहमाननवाजी की। गंभीर अपराध होने के बाद भी थाने से रवाना कर दिया।

डीजीपी के रिटायर होने का इंतजार

स्पेशल टास्क फोर्स (एसटीएफ) डीजीपी विपिन माहेश्वरी का खौफ है कि यहां अफसर पोस्टिंग नहीं करवा रहे हैं। एसटीएफ की इंदौर यूनिट बगैर एसपी के चल रही है। तत्कालीन एसपी मनीष खत्री के खरगोन जाने के बाद से एसपी का पद खाली है। कुछ समय पूर्व डीएसपी राजेश चौहान पदस्थ हुए लेकिन एसपी का पद अभी भी रिक्त है। लूप लाइन में बैठे एएसपी यहां आना तो चाहते हैं लेकिन डीजीपी की सख्ती के कारण कदम खींच लेते हैं। कागजों पर चलने वाले डीजीपी अधीनस्थों से जमकर काम लेते हैं। बगैर उनकी इजाजत के कोई फालतू की जांच और पूछताछ नहीं कर सकता। यही कारण है कि अफसर यहां आने से कतरा रहे हैं। डीजीपी माहेश्वरी नवंबर में रिटायर हो रहे हैं। जैसे ही उनके जाने का वक्त करीब आया एक महिला एएसपी ने मुख्यालय में आवेदन पेश कर दिया। वैसे डीएसपी से एएसपी बने दो अफसर भी दावेदारों में शामिल हैं।

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