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डेढ़ करोड़ की ग्रांट जिस कोर्स को चलाने मिली उस पर पैरामेडिकल काउंसिल का अड़ंगा

जबलपुर। विश्वविद्यालय अनुदान आयोग से मिले डेढ़ करोड़ रुपये का अनुदान विश्वविद्यालय के लिए भारी पड़ गया है। लैब टेक्नोलाजी के जिस पाठ्यक्रम के लिए यूजीसी ने ग्रांट मंजूर की थी उस पर अब पैरामेडिकल काउंसिल ने अड़ंगा लगा दिया है। दरअसल, 2015 में राष्ट्रीय शिक्षा नीति के तहत प्रोजेक्ट के तौर पर विवि में दो वोकेशनल कोर्स शुरू कराए गए।

कोर्स में प्रवेश हासिल कर चुके छात्रों की परेशानी बढ़ गई

लैब टेक्नाेलॉजी को लेकर मप्र पैरामेडिकल काउंसिल ने कहा है कि यह पूर्व निर्धारित कोर्सेस में है ही नहीं। इससे कोर्स में प्रवेश हासिल कर चुके छात्रों की परेशानी बढ़ गई है। विवि प्रशासन भी असमंजस में है कि वह यूजीसी की माने या फिर पैरामेडिकल काउंसिल की। विश्वविद्यालय अनुदान आयोग और पैरामेडिकल काउंसिल के अलग-अलग नजरिए से छात्र खासे परेशान हैं। बड़ी संख्या में छात्र दाखिला ले चुके हैं लिहाजा भविष्य को लेकर भी कशमकश की स्थिति बनने लगी है।

असमंजस में विद्यार्थी

-रादुवि में चल रहे वोकेशनल पाठ्यक्रम मेडिकल लैब टेक्नोलॉजी कोर्स को केंद्र सरकार द्वारा निकाली जा रही नौकरियों के लिए पात्र है जबकि मप्र में इसे मान्यता नहीं दी गई है।

– मप्र में निकलने वाली नौकरी में पैरामेडिकल काउंसिल से मान्यता प्राप्त पाठ्यक्रम की शर्त रख दी जाती है। ऐसे में छात्र भ्रमित हैं कि एक ही कोर्स को लेकर अलग-अलग मापदंड क्यों हैं?

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