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ड्रग कंपनियों के कार्यक्रम में शामिल हुए डॉक्टर तो होगा लाइसेंस सस्पेंड

इंदौर। डॉक्टर अब किसी ऐसे सेमिनार या कॉन्फ्रेंस में भाग नहीं ले सकेंगे, जिन्हें फार्मा कंपनियों ने डायरेक्ट या इनडायरेक्ट रूप से स्पॉन्सर किया हो। दरअसल, नेशनल मेडिकल कमीशन (एनएमसी) ने डॉक्टर्स के लिए कुछ कड़े नियम कड़े लागू किए हैं। इन नियमों के उल्लंघन पर डॉक्टर्स का लाइसेंस तीन महीने के लिए सस्पेंड कर दिया जाएगा।

एनएमसी के नए नियमों में डॉक्टर्स और उनके परिवार को फार्मा कंपनियों या उनके प्रतिनिधियों से कंसल्टेंसी फीस या ऑनरेरियम लेने पर भी बैन लगा दिया गया है। साथ ही डॉक्टर्स के लिए जेनेरिक दवाएं लिखना अनिवार्य कर दिया गया है। हालांकि डॉक्टर्स और इंडियन मेडिकल एसोसिएशन इन नियमों का लगातार विरोध कर रहा है। इसके चलते केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री मनसुख मंडाविया ने सोमवार को एक बैठक बुलाई है।

जानकारी के अनुसार, मेडिकल काउंसिल ऑफ इंडिया ने 2010 में डॉक्टरों और उनके परिवारों के नाम पर दवा कंपनियों से गिफ्ट, ट्रेवल्स सुविधाएं या हॉस्पिटेलिटी पर रोक लगा दी थी। इसके बाद कई दवा कंपनियों ने डॉक्टरों के साथ कॉन्ट्रेक्ट कर लिया था कि वे लेक्चर देंगे और वर्कशॉप कराएंगे। डॉक्टर्स यह इनकम घोषित कर देते थे। कई कॉरपोरेट अस्पतालों ने भी मरीजों को भेजने के लिए डॉक्टरों के साथ कॉन्ट्रैक्ट किया और उन्हें सुविधा शुल्क बताकर बड़ी धनराशि का भुगतान किया।

कई डॉक्टर्स ने फार्मा और मेडिकल डिवाइस उपकरण कंपनियों के साथ इन कंसल्टेंसी के माध्यम से और ऐसी फैसिलिटेशन फीस से अपनी सैलरी से ज्यादा कमाई की। अब डॉक्टर किसी भी बहाने से व्यावसायिक हेल्थकेयर प्रतिष्ठानों, चिकित्सा उपकरण कंपनियों या कॉर्पोरेट अस्पतालों से कंसल्टेंसी फीस या मानदेय नहीं ले सकते हैं।

जेनेरिक दवाइयां लिखने का लागू हुआ नियम

जानकारी के अनुसार, सरकार ने एक नया नियम लागू कर डॉक्टरों को जेनेरिक दवाइयां मरीजों को लिखने के लिए कहा है। इसके बाद जहां मरीजों को दवाइयों पर खर्च किए जाने वाली धनराशि पर खर्च तो कम होगा। हालांकि सरकार के इस नियम पर डॉक्टरों ने कड़ी आपत्ति जताई है।

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