श्योपुर। जिले में खरीफ फसलों की बोवनी लगभग अंतिम दौर में है। इस बार अभी तक 1 लाख 47 हजार हेक्टेयर रकबे में फसलों की बोवनी हुई है, जो कुल लक्षित रकबे का 95 फीसदी है। इस बार किसानों का रुझान धान के साथ ही उड़द की फसल की ओर भी ज्यादा दिखा है। उड़द का रकबा बढ़ा है। धान की रोपणी भी अब अंतिम दौर में नजर आ रही है। बारिश की वजह से खरीफ फसल की बोवनी पर असर पड़ा है, अगर बारिश अच्छी होती तो इस बार लक्ष्य से भी अधिक बोवनी होने की उम्मीद थी।
वर्ष 2023 में खरीफ की बोवनी के लिए कृषि विभाग ने 1 लाख 55 हजार 400 हेक्टेयर में बोवनी का लक्ष्य रखा था, जिसके एवज में अभी तक बोवनी का रकबा 1 लाख 47 हजार हेक्टेयर तक पहुंच गया है। खरीफ सीजन में सोयाबीन की मुख्य फसल है, लेकिन जिले में इस बार 18 हजार 500 हेक्टेयर में ही इस बार किसानों ने सोयाबीन की बोवनी की है, जबकि पिछले साल इससे ज्यादा रकबा था।
बारिश नहीं होने से धान की फसल पर पड़ रहा असर
जिले में इस बार भी धान का रकबा ज्यादा है। कृषि विभाग ने 41 हजार हेक्टेयर में धान की रोपणी का लक्ष्य रखा है, जिसके एवज में अभी तक 39 हजार 500 हेक्टेयर में रोपणी हो गई है। हालांकि जुलाई माह की शुरुआत में बारिश नहीं होने और फिर बिजली भी नहीं मिलने से धान को लेकर असमंजस की स्थिति बनी थी, लेकिन चंबल नहर में पानी आने से किसानों को काफी राहत मिली है। जिन क्षेत्रों में नहर का पानी नहीं पहुंच रहा है, वहां किसानों को धान की फसल करना काफी मुश्किल हो रहा है। पानी के अभाव में धान के खेत में दरारे पड़ गई है।
उड़द बाजरा का बढ़ा रकबा
उड़द बाजरा का भी रकबा बढ़ा इस बार हुई खंड वर्षा के चलते जिले में धान और सोयाबीन के बजाय उड़द, बाजरा और तिल का रकबा बढ़ा है। यही वजह है कि उड़द 26 हजार और बाजरा 22 हजार हेक्टेयर से ज्यादा में बोया गया है। तिल की बोवनी भी 17 हजार हेक्टेयर को पार कर गई है।
जिले में फसलवार बोवनी का रकबा (हेक्टेयर में)
जिले में खरीफ फसलों की बोवनी लगभग हो चुकी है, अब केवल धान की रोपणी कुछ क्षेत्रों में चल रही है। अभी तयक 1 लाख 47 हजार हेक्टेयर में बोवनी हो चुकी है, जो निर्धारित लक्ष्य के बराबर पहुंच गई है।
पी गुजरे, उपसंचालक, कृषि विभाग श्योपुर
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