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मीसा बंदियों को साय सरकार का बड़ा तोहफा, फिर से बहाल होगी पेंशन योजना

रायपुर (सत्येंद्र शर्मा): मुख्यमंत्री विष्णु देव साय से संबद्ध विभागों के लिए आज विधानसभा में 8421 करोड़ 82 लाख 8 हजार रुपए की अनुदान मांगें चर्चा के बाद ध्वनिमत से पारित कर दी गई। अनुदान मांगों में सामान्य प्रशासन विभाग के लिए 475 करोड़ 39 लाख 81 हजार रुपए, सामान्य प्रशासन विभाग से संबंधित अन्य व्यय के लिए 74 करोड़ 18 लाख 29 हजार रुपए, वाणिज्यिक विभाग(आबकारी) के लिए 432 करोड़ 3 लाख 44 हजार रुपए, ऊर्जा विभाग के लिए 3990 करोड़ 56 लाख 89 हजार रुपए, पशुपालन विभाग के लिए 513 करोड़ 1 लाख 58 हजार रुपए, मछलीपालन विभाग के लिए 106 करोड़ 19 लाख 49 हजार रुपए, खनिज साधन विभाग के लिए 1340 करोड़ 62 लाख 73 हजार रुपए, जनसंपर्क विभाग के लिए 443 करोड़ 87 लाख 20 हजार रुपए, पुनर्वास विभाग के लिए 2 करोड़ 75 लाख 40 हजार रुपए, परिवहन विभाग के लिए 151 करोड़ 8 लाख 20 हजार रुपए, ग्रामोद्योग विभाग के लिए 217 करोड़ 31 लाख 74 हजार रुपए, जिला परियोजनाओं से संबंधित व्यय के लिए 208 करोड़ 53 लाख रुपए, विमानन विभाग के लिए 200 करोड़ 48 लाख 36 हजार रुपए, इलेक्ट्रानिक्स एवं सूचना प्रौद्योगिकी विभाग के लिए 265 करोड़ 75 लाख 95 हजार रुपए की अनुदान मांगें पारित की गई।

मुख्यमंत्री ने इस अवसर पर सरकार की पिछले तीन महीने की उपलब्धियों को भी सांझा किया। मुख्यमंत्री ने चर्चा का जवाब देते हुए मीसाबंदियों की सम्मान निधि फिर से प्रारंभ करने और कुरुद क्षेत्र में मिल्क रूट स्थापित करने एवं चिलिंग प्लांट लगाने की घोषणा की। मुख्यमंत्री ने कहा कि मोदी जी की गारंटी पर देश के बच्चे-बच्चे को भरोसा है। उन्होंने जो भी वायदे देश की जनता से किए, वो पूरा किया। मोदी जी ने जो गारंटी छत्तीसगढ़ की जनता को दी थी उसमें बहुत सी महत्वपूर्ण गारंटियों को हमने तीन महीनों में ही पूरा कर लिया है। 18 लाख हितग्राहियों को प्रधानमंत्री आवास देने के लिए हमने राज्यांश की व्यवस्था कर ली है। किसानों को दो साल की बकाया धान बोनस की राशि 3716 करोड़ रुपए हमने दी है। हम किसानों से 21 क्विंटल प्रति एकड़ धान की खरीदी की है। किसानों को 3100 रूपए प्रति क्विण्टल के मान से धान की कीमत देंगे। किसानों को अभी समर्थन मूल्य का भुगतान किया गया है। शीघ्र ही उन्हें अंतर की राशि का भुगतान कर दिया जाएगा। इस साल लगभग 145 मीट्रिक टन धान की खरीदी हुई है। युवाओं से वायदा किया था कि पीएससी भर्ती में हुई शिकायतों की जांच कराएंगे। इसकी जांच सीबीआई को सौंप दी गई है। मोदी जी की गारंटी के अनुरूप महतारी वंदन योजना के तहत विवाहित महिलाओं को सालाना राशि 12 हजार रुपए देने के लिए हम महिलाओं से आवेदन ले रहे हैं।

मुख्यमंत्री ने कहा कि मीसा बंदियों के तकलीफों को बहुत करीब से देखा है। उनके संघर्ष और पीड़ा को मैंने महसूस किया है। आपातकाल के दौरान मेरे बड़े पिताजी स्वर्गीय नरहरि साय भी 19 महीने तक जेल में रहे। यह बात मुख्यमंत्री विष्णु देव साय ने आज राजधानी रायपुर के वृंदावनहाल में लोकतंत्र सेनानी संघ द्वारा आयोजित प्रांतीय परिवार सम्मेलन और सम्मान समारोह में कही। मुख्यमंत्री ने कहा कि सरकार मीसाबंदियों की सम्मान राशि की बहाली के लिए पहल करेगी। सम्मेलन में प्रदेश भर से आए मीसा बंदी और उनके परिजनों ने अपनी आपबीती भी साझा की। आपबीती सुन भावुक हुए मुख्यमंत्री विष्णु देव साय ने आपातकाल के समय का जिक्र करते हुए कहा कि लोकतंत्र सेनानी जब जेल जाते थे तो उस परिवार की स्थिति बड़ी पीड़ादायक हो जाती थी। इन परिवारों के सामने आजीविका का संकट हो जाता था। मीसा बंदियों के साथ हमारी सरकार न्याय करेगी। पूर्ववर्ती डॉ रमन सिंह की सरकार ने मीसाबंदियों के लिए सम्मान राशि देने की शुरुआत की थी।

मीसा यानी, आंतरिक सुरक्षा व्यवस्था अधिनियम प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी के कार्यकाल में देश में आपातकाल लागू किया गया था। इस दौरान गैर कांग्रेसी नेताओं और आपातकाल का विरोध करने वालों को जबरन जेल में बंद कर दिया गया था। छत्‍तीसगढ़ में भाजपा सरकार के दौरान इन मीसाबंदियों को लोकतंत्र सेनानी नाम देते हुए जयप्रकाश नारायण सम्मान निधि के तहत पेंशन शुरू की गई। मीसा बंदियों को दो श्रेणी में 10 और 25 हजार रुपये पेंशन दिया जाता था। 2018 में सत्‍ता परिवर्तन के बाद तत्‍कालीन सरकार ने इसे बंद कर दिया। प्रदेश में लगभग 700 से अधिक मीसा बंदी आपातकाल के दौर में राजनीतिक विरोधियों के खिलाफ दमनात्मक कार्रवाई हुई थी। तब मीसा कानून के तहत कई लोगों को जेल में डाल दिया गया था। इससे इनका करियर व कारोबार चौपट हो गया था। छत्तीसगढ़ में भाजपा शासनकाल के दौरान इन मीसाबंदियों को लोकतंत्र सेनानी नाम देते हुए जयप्रकाश नारायण सम्मान निधि के तहत पेंशन शुरू की गई।

इनकी दो श्रेणी बनाई गई, जिसमें 10 हजार और 25 हजार रुपये प्रतिमाह पेंशन दी जाती थी। वर्ष 2018 में छत्तीसगढ़ में सत्ता परिवर्तन होने के बाद कांग्रेस सरकार ने मीसा बंदियों को दी जा रही पेंशन पर रोक लगा दी थी। इसके खिलाफ पेंशनरों ने हाई कोर्ट में याचिका दायर की थी। कोर्ट ने मीसा बंदियों के पक्ष में फैसला सुनाया।

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