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राम मंदिर के लिए लड़े ये कारसेवक, अब मथुरा-काशी के लिए भी जेल जाने को तैयार

राम मंदिर के उद्घाटन को लेकर देश में उत्साह और उमंग का माहौल है. मंदिर के निर्माण के साथ कारसेवकों के सपना भी सफल हो रहा है. रामलला के लिए की गई कार सेवा को वह आज भी याद कर गौरवांतित हो रहे हैं. जो कारसेवक वर्ष 1992 में युवा थे वह आज 50 साल से ऊपर वृद्धावस्था में पहुंच गए हैं. इनका जोश आज भी हिलोरे मार रहा है. उत्तर प्रदेश के जिला संभल के कार सेवकों का कहना है कि राम मंदिर बनने से उन्हें बेहद खुशी है. सभी राम भक्तों का सपना साकार हो रहा है.

अयोध्या में श्रीराम मंदिर में रामलला की प्राण प्रतिष्ठा 22 जनवरी को होनी है. अयोध्या से लेकर देश के कोने में इसे उत्सव के रूप में मनाने की तैयारी जोरों पर चल रही है. रामभक्तों की टोलियां घर-घर अक्षत बांट रही हैं. सभी से 22 जनवरी के दिन दीपक जलाकर दिवाली मनाने की अपील की जा रही है. ऐसे में कार सेवक भी अपनी खुशी को जाहिर कर रहे हैं.

90 के दशक में संभल से गए थे कारसेवक

संभल जिले के कस्बा बबराला से भी 90 के दशक में कारसेवा के लिए कारसेवकों की टोली राम मंदिर के निर्माण में योगदान के लिए निकली थी. इन्हें तत्कालीन समाजवादी पार्टी की सरकार ने पीलीभीत जिले में बनाई गई अस्थाई जेल में डाल दिया था. इन कारसेवकों में कस्बा के अरुणकांत वार्ष्णेय, रुपकिशोर शर्मा और अनिल अग्रवाल भी शामिल थे.

पीलीभीत की अस्थाई जेल में किया था कारसेवकों को बंद

बुजुर्ग अवस्था में पहुंच चुके कारसेवक अरुणकांत वार्ष्णेय ने बताया कि श्रीराम मंदिर के जेल भरो आंदोलन के दौरान सितंबर 1990 में मुझे व अन्य साथियों को पुलिस ने गुन्नौर से गिरफ्तार कर लिया था. यहां से कारसेवकों को पुलिस ने डंपर में बैठाकर पीलीभीत में बनाई गई अस्थाई जेल भेज दिया गया था. जेल में पहुंचने के तीन बाद ही वहां कारसेवकों की भीड़ अधिक होने के चलते खाने का अभाव हो गया. उन्हें स्थानीय आरआरएस कार्यकर्ता और व्यापार मंडल के जरिए खाना मिला करता था. उनका कहना है कि आज भी हम वहीं पहले जैसा जोश रखते हैं. अयोध्या की तरह मथुरा काशी के लिए भी वह जेल जाने को तैयार हैं.

22 जनवरी को मनाई जाएगी दीवाली

बबराला के कार सेवक रुपकिशोर शर्मा का कहना है कि वन वास के बाद अयोध्या में श्री राम 14 वर्ष बाद आए थे. राम मंदिर में श्रीराम 500 वर्ष बाद आ रहे हैं. खुशी इस तरह से मनाई जाएगी जैसे उस दौर में मनाई गई थी. दीवाली होगी और यह हमारे लिए सौभाग्य है कि हम कार सेवक थे और भगवान के काम आए. कार सेवक अनिल अग्रवाल कहते हैं कि देश राम का, दुनिया राम की, हम राम के. राम के नाम पर ही मरना, राम के नाम पर जीना है. कार सेवा के वक्त हमने ठान लिया था कि राम को विराजमान होते देखेंगे.

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