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विश्वकर्मा जयंती 17 सितंबर को, 50 साल बन रहे 4 दुर्लभ संयोग, जानें पौराणिक महत्व

हिंदू धर्म में भगवान विश्वकर्मा को दुनिया का सृजनकर्ता माना गया है। पौराणिक मान्यता है कि भगवान विश्वकर्मा परमपिता ब्रह्मा के 7वें पुत्र थे। इस साल भगवान विश्वकर्मा की जयंती 17 सितंबर 2023 को मनाई जाएगी और इस दिन 50 साल बाद 4 दुर्लभ संयोग भी निर्मित हो रहे हैं और इस कारण से इस साल मनाई जाने वाली Vishwakarma Jayanti का विशेष ज्योतिषीय महत्व भी है।

17 सितंबर को बनेंगे ये 4 दुर्लभ योग

पंडित चंद्रशेखर मलतारे के मुताबिक, 17 सितंबर को इस बार विश्वकर्मा पूजा पर कई अमृत योग, सर्वार्थ सिद्धि योग, ब्रह्म योग और द्विपुष्कर योग निर्मित हो रहे हैं। विश्वकर्मा पूजा पर एक साथ इतने सारे योग बनना एक दुर्लभ मौका है। इससे पहले 50 साल पहले ऐसा हुआ था।

विश्वकर्मा पूजा का शुभ मुहूर्त

विश्वकर्मा पूजा 17 सितंबर को सुबह 9.44 मिनट से शुरू होगी और पूजा के लिए शुभ मुहूर्त दोपहर 12.55 मिनट तक रहेगा। इस शुभ मुहूर्त के दौरान ही सर्वार्थ सिद्धि योग भी बनेगा। इस दौरान भगवान विश्वकर्मा की पूजा के दौरान जो भी मनोकामना होगी, वह अवश्य पूरी होगी। पूजा के फलस्वरूप नया वाहन या संपत्ति भी खरीद सकते हैं।

सनातन धर्म में भगवान विश्वकर्मा की महिमा

सनातन धर्म में भगवान विश्वकर्मा की महिला के बारे में विस्तार से उल्लेख किया गया है। भगवान विश्वकर्मा को देवी-देवताओं के महलों का वास्तुकार और निर्माणकर्ता माना गया है। परमपिता ब्रह्मा के आदेश पर पृथ्वीलोक की संरचना भी भगवान विश्वकर्मा ने ही तैयार की थी।

दूर होगी नौकरी व कारोबार की बाधाएं

इस साल 17 सितंबर को विश्वकर्मा जयंती पर 50 साल बाद दुर्लभ संयोग निर्मित हो रहा है। विधि-विधान के साथ यदि भगवान विश्वकर्मा की पूजा की जाती है तो जिन लोगों को नौकरी व कारोबार की बाधाएं आ रही हैं, उससे निजात मिल सकता है।

डिसक्लेमर

‘इस लेख में दी गई जानकारी/सामग्री/गणना की प्रामाणिकता या विश्वसनीयता की गारंटी नहीं है। सूचना के विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/धार्मिक मान्यताओं/धर्मग्रंथों से संकलित करके यह सूचना आप तक प्रेषित की गई हैं। हमारा उद्देश्य सिर्फ सूचना पहुंचाना है, पाठक या उपयोगकर्ता इसे सिर्फ सूचना समझकर ही लें। इसके अतिरिक्त इसके किसी भी तरह से उपयोग की जिम्मेदारी स्वयं उपयोगकर्ता या पाठक की ही होगी।’

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