शाजापुर सेंटर पर आयोजित परीक्षा में अभ्यर्थी हरेंद्र सिंह के स्थान पर वासुदेव पाठक परीक्षा दे रहा था। परीक्षा कक्ष में जांच के दौरान यह गड़बड़ी सामने आने के बाद पुलिस ने परीक्षा दे रहे वासुदेव को तो आरोपित बना लिया, लेकिन हरेंद्र के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की थी।
व्यापम के अन्य मामलों के साथ इस मामले की जांच भी बाद में सीबीआइ को सौंप दी गई। विशेष लोक अभियोजक रंजन शर्मा ने बताया कि सीबीआइ ने मामले की दोबारा जांच की और हरेंद्र सिंह को भी आरोपित बनाया।
विशेष न्यायाधीश संजय कुमार गुप्ता ने बुधवार को दोनों को दोषी पाया। दोषी वासुदेव पाठक और हरेंद्र सिंह को पांच-पांच वर्ष के कठोर कारावास और 14-14 हजार रुपये अर्थंदंड की सजा सुनाई गई।
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