बिलासपुर बिलासपुर संभाग में सालों के संघर्ष के बाद मिले सहायक शिक्षक से शिक्षक व शिक्षक से प्रधान पाठक माध्यमिक शाला के पद पर पदोन्नति पाने वाले शिक्षकों के बीच शासन की कार्रवाई से हड़कंप मच गया। शिक्षक पोस्टिंग संशोधन आदेश निरस्त नहीं करने की मांग उठने लगी है। शिक्षकों ने पर्यटन मंडल अध्यक्ष अटल श्रीवास्तव को ज्ञापन सौंपकर निरस्त नहीं करने की मांग की है।
शिक्षक दीपक कुमार कश्यप ने कहा कि एक ओर संशोधन आदेश को निरस्त करने की बात सामने आ रही है तो वही दूसरी ओर निरस्तीकरण के बाद सामने आने वाले दुष्प्रभाव को लेकर शिक्षक चिंतित है, क्योंकि बीते तीन महीनों में नए पद स्थापना के बाद सारी व्यवस्थाएं शिक्षकों ने स्थापित कर ली है। चाहे वह स्कूल में शिक्षा के वातावरण की बात हो या फिर पारिवारिक जिम्मेदारियां सभी के बीच उचित समन्वय स्थापित होने के बाद संशोधन आदेश निरस्त करने की बात से ही शिक्षक व्यथित हैं। तीन वर्षो की कड़ी तपस्या के बाद उन्हें प्रमोशन मिला है। उसके बाद काउंसलिंग के माध्यम दूर दराज स्कूलों में भेज दिया गया था। जिसको लेकर उन्होंने मानवीय पहलुओं को सामने रखते हुए तत्कालीन संयुक्त संचालक से संशोधन की मांग की थी, जिस पर विचार विमर्श करते हुए जेडी द्वारा शिक्षकों के पद स्थापना को संशोधित करते हुए नए स्कूलों में भेजा गया है। उन्होंने बताया कि पूर्व में भी कई बार पदोन्नति के बाद संशोधन की प्रक्रिया की जा चुकी है, जिसको लेकर बीते वर्षों में किसी तरह के कोई कार्रवाई या फिर संशोधन आदेश निरस्त नहीं की गई है। ऐसे में अब संशोधन आदेश निरस्त करना कतई उचित नहीं है।
संशोधन के बाद भी जाना पड़ता है 40 किलोमीटर दूर
शिक्षकों का कहना है कि सहायक शिक्षक से शिक्षक व शिक्षक से प्रधान पाठक माध्यमिक शाला के पद पर पदोन्नति प्रक्रिया में काउंसलिंग के बाद बिलासपुर संभाग के अधिकांश शिक्षको को उनके मूल निवास से 300 किलोमीटर तक पद स्थापना दी गईं थी। जिसमे से महिला वर्ग की शिक्षिकाओं को परेशानी हो रही थी। जिन्होंने अपनी समस्याओं को सयुक्त संचालक के समक्ष रखा और पद स्थापना को दूसरे जगह करने की मांग की। संशोधन होने के बाद भी उन्हें 30 से 40 किलोमीटर जाना पड़ता है। फिर भी वह शिक्षक के अपने दायित्व को निभा रहे हैं।
शिक्षक विहीन स्कूलों में भी की गई पोस्टिंग
शिक्षको की माने तो बिलासपुर संभाग में शिक्षक पदोन्नति के बाद हुए संशोधन में शिक्षको को केवल शहर के करीब ही पोस्टिंग नहीं दी गई। बल्कि संशोधन आदेश में अधिकांश शिक्षको को ऐसे जगहों में पोस्टिंग दी गई है। जहां सालो से शिक्षको को कमी बनी हुई थी। कुछ जगहों में तो शिक्षक विहीन स्कूलों में पोस्टिंग दी गई। जहां शिक्षको के आने के बाद अध्ययन अध्यापन में गति मिल गई है। ऐसे में अगर संशोधन आदेश हो निरस्त किया जाता है तो पूरे स्कूल शिक्षक विहीन हो जाएंगे जिससे कहीं ना कहीं अंचल के नौनिहालों को दिक्कतों का सामना करना पड़ेगा।
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