ग्वालियर। किसी भी गंभीर बीमारी या फिर इमरजेंसी की हालत में अस्पताल काम आता है, जहां मरीज की जान बचाने की कोशिश होती है और उसका इलाज किया जाता है। हालांकि कई मामले ऐसे भी आए जिनमें देखा गया कि अस्पताल ने मरीज को भर्ती करने से इनकार कर दिया या फिर किसी और बहाने से कहीं और भेज दिया। ऐसे में तुरंत इलाज नहीं मिलने पर कई बार मरीज की जान भी चली जाती है। ऐसी स्वास्थ्य चुनौतियों से निपटने के लिए मरीज और उसके स्वजन जागरूक नहीं है। इसलिए उनको जागरूक करने के लिए विश्व स्वास्थ्य दिवस का विषय मेरा स्वास्थ्य, मेरा अधिकार रखा गया। इससे मरीजों को चुनौतियों से निपटने के लिए जागरूक किया जा सके।
इलाज को लेकर अगर कभी किसी को चुनौतियों से सामना करना पड़े तो उसे अपने अधिकार की जानकारी होना चाहिए। संविधान ने आम नागरिक को मौलिक अधिकारों की श्रेणी में स्वास्थ्य का अधिकार दे रखा है। इसके तहत हर व्यक्ति को अच्छा स्वास्थ्य पाने का अधिकार है। बावजूद इसके हर आदमी को स्वास्थ्य का लाभ नहीं मिल पा रहा है। यह कहे कि जो लाभ मिलना चाहिए, अधूरी व्यवस्थाएं के चलते नहीं मिल पा रहा। स्वास्थ्य महकमे में डाक्टरों की कमी के कारण मरीज परेशान है। जो डाक्टर हैं उन पर कई मरीजों का भार है। जेएएच की बात करें तो तो यहां एक दिन में दो हजार से अधिक मरीज पहुंच रहे हैं। ऐसे में डाक्टरों को कई-कई मरीजों को देखना पड़ रहा है। वह एक मरीज पर भरपूर समय नहीं दे पाते।
मरीजों के अधिकार
प्रत्येक व्यक्ति को स्वास्थ्य सुविधाएं उपलब्ध कराने का काम सरकार औरर इलाज मुहैया कराने का काम डाक्टर का है। चिकित्सकों को जिम्मेदारी लेनी होगी कि समाज को स्वस्थ्य इलाज मुहैया कराने में सहयोग करना होगा। साथ ही लोगों को उनके अधिकार के प्रति जागरूक करने के लिए जागरूकता कार्यक्रम भी आयोजित किए जाने चाहिए।
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