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Mokshada Ekadashi 2023: मोक्षदा एकादशी के दिन इन बातों का रखें ध्यान, जानिए व्रत से जुड़े जरूरी नियम

इंदौर। एक साल में कुल 24 एकादशियां होती हैं और मोक्षदा एकादशी साल की आखिरी एकादशी होती है। मार्गशीर्ष माह के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि को मोक्षदा एकादशी के नाम से जाना जाता है। सनातन पंचांग के अनुसार, इस बार मोक्षदा एकादशी 22 दिसंबर को पड़ रही है। इस दिन भगवान विष्णु की विशेष पूजा की जाती है। मान्यता है कि इस दिन पूजा और व्रत करने से भक्त को भगवान विष्णु का आशीर्वाद प्राप्त होता है। इसके अलावा मोक्षदा एकादशी पर कुछ काम करने की मनाही है। ऐसा करने पर व्यक्ति को जीवन में कई तरह की परेशानियों का सामना करना पड़ता है। आइए, जानते हैं कि मोक्षदा एकादशी के दिन क्या करें और क्या न करें।

मोक्षदा एकादशी के दिन करें ये कार्य

  • एकादशी के दिन सुबह उठकर स्नान आदि से निवृत्त होकर, भगवान विष्णु की पूजा करें।
  • तुलसी पर जल चढ़ाएं और परिक्रमा करें।
  • गरीबों को अपनी श्रद्धा के अनुसार दान करें।
  • इसके साथ ही इस दिन भजन-कीर्तन करना चाहिए।
  • व्रत के दौरान आपको कुछ भी नहीं खाना चाहिए। अगर यह संभव न हो, तो आप फलाहार कर सकते हैं।

मोक्षदा एकादशी के दिन न करें ये कार्य

  • एकादशी के दिन चावल का सेवन नहीं करना चाहिए।
  • एकादशी के दिन बाल काटना अपशकुन माना जाता है।
  • व्रत रखने के इच्छुक लोगों को सुबह देर तक नहीं सोना चाहिए।
  • इस दिन चोरी, हिंसा और क्रोध से बचना चाहिए।
  • किसी भी पेड़ से पत्तियां या फूल नहीं तोड़ना चाहिए।

मोक्षदा एकादशी महत्व

मान्यता के अनुसार, मोक्षदा एकादशी का व्रत रखने और भगवान विष्णु की पूजा करने से पितरों को मोक्ष की प्राप्ति होती है। वहीं, धार्मिक मान्यता के अनुसार, मोक्षदा एकादशी के दिन ही भगवान श्रीकृष्ण ने अर्जुन को गीता का उपदेश दिया था। इसी कारण इस दिन गीता जयंती भी मनाई जाती है। ऐसे में गीता का पाठ करने या सुनने से शुभ परिणाम प्राप्त होते हैं।

डिसक्लेमर

‘इस लेख में दी गई जानकारी/सामग्री/गणना की प्रामाणिकता या विश्वसनीयता की गारंटी नहीं है। सूचना के विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/धार्मिक मान्यताओं/धर्मग्रंथों से संकलित करके यह सूचना आप तक प्रेषित की गई हैं। हमारा उद्देश्य सिर्फ सूचना पहुंचाना है, पाठक या उपयोगकर्ता इसे सिर्फ सूचना समझकर ही लें। इसके अतिरिक्त इसके किसी भी तरह से उपयोग की जिम्मेदारी स्वयं उपयोगकर्ता या पाठक की ही होगी।’

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