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जब भारी बारिश से थम गई थी मुंबई…दफ्तर, फैक्टरियों और रेलवे स्टेशनों पर कई दिनों तक फंसे रहे थे लोग

जून का महीना खत्म होते-होते देश के तमाम हिस्सों में बारिश की टिप-टिप सुनाई देने लगती है और जुलाई में सावन अपने शबाब पर होता है, लेकिन कई बार बारिश मुसीबत बनकर बरसती है और सबकुछ अस्त-व्यस्त हो जाता है। मौसम विभाग ने बुधवार को भारी बारिश के चलते महाराष्ट्र में रेड अलर्ट जारी किया है।

इन जिलों में भारी बारिश की चेतावनी

मौसम विभाग ने बुधवार को रत्नागिरी जिले सहित पश्चिम-मध्य महाराष्ट्र, विदर्भ और कोंकण के लिए आज भारी बारिश के लिए रेड अलर्ट की चेतावनी जारी की है। जबकि सिंधुदुर्ग, कोल्हापुर, ठाणे, पालघर और मुंबई के लिए ऑरेंज अलर्ट जारी किया गया है। मौसम विभाग ने पश्चिमी महाराष्ट्र के पुणे और सतारा जिलों में भी भारी बारिश का अनुमान जताया है और गढ़चिरौली, गोंदिया और नांदेड़ जिलों के लिए ऑरेंज अलर्ट जारी किया गया है। मराठवाड़ा और विदर्भ के कुछ जिलों सहित उत्तरी महाराष्ट्र में बारिश का येलो अलर्ट जारी किया गया है। प्रशासन ने नागरिकों से उचित सावधानी बरतने की अपील की है।

जब थम गई थी मुंबई

2005 में 26 जुलाई के दिन बादलों से बारिश नहीं बल्कि आफत बरसी। देश की वाणिज्यिक राजधानी मुंबई सहित महाराष्ट्र के कई हिस्से बारिश के इस सितम का शिकार हुए। जो जहां था वहीं थम गया, जिसने कुदरत के इस कहर से मुकाबला करने की कोशिश की, उसे मौत ने लील लिया। तब एक हजार से ज्यादा लोगों की मौत हो गई थी। लोग कई दिनों तक अपने घरों, दफ्तरों, फैक्टरियों और रेलवे स्टेशनों पर फंसे रहे। स्कूल-कॉलेज बंद करने पड़े और राज्य को भारी नुकसान का सामना करना पड़ा। मौसम विभाग के आंकड़ों के अनुसार उस दिन महाराष्ट्र में कुल 944 मिमी. (37.17 इंच) बारिश हुई। वर्षा जनित घटनाओं में एक हजार से ज्यादा लोगों की जान गई और इस तेज रफ्तार महानगर को दोबारा अपनी चाल पर वापस लौटने में कई हफ्ते लगे।

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