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जिस भस्मआरती के दर्शन मात्र से पूरी हो जाती है सारी मनोकामनाएं ! जानिए उसका रहस्य, क्या सच में चिता की ताजी राख से होती है महाकाल की पूजा

उज्जैन: विश्व प्रसिद्ध बाबा महाकाल की नगरी उज्जैन में रोज लाखों श्रद्धालु बाबा के दर्शन करने उज्जैन आते हैं। रोजाना ब्रह्म मुहूर्त में भगवान महाकाल की भस्म आरती की जाती है। हिंदू धर्म में ऐसी मान्यता है कि भगवान महाकाल की श्रद्धा के साथ पूजा-अर्चना और भस्मआरती के दर्शन करने मात्र से भक्तों की सभी मनोकामनाएं पूरी हो जाती है। भगवान महाकाल की रोज प्रातः काल भस्म आरती होती है जिसमें बाबा को विशेष रूप से सजाया जाता है। बाबा महाकाल के दर्शन करने देश विदेश से बड़ी संख्या में भक्त उज्जैन पहुंचते हैं। भगवान महाकाल की भस्म आरती में शामिल होना प्रत्येक भक्त का सपना होता है।

भगवान महाकाल को लेकर कई किवदंतियां भी प्रचलित है। कहा जाता है कि भगवान महाकाल की भस्म आरती चिता की ताजी राख से की जाती है। लेकिन आज हम आपको भगवान महाकाल की भस्म आरती का सच मंदिर के पुजारी के कहे अनुसार बताएंगे।

भस्म आरती का एक और नाम मंगला आरती भी दिया गया है। मंगला आरती में बाबा हर रोज निराकार से साकार रूप धारण करते हैं। बाबा भस्म को संसार को नाशवान होने का संदेश देने के लिए लगाते हैं। इसके लिए बाबा ताजी भस्म शरीर पर धारण करते हैं।

महाकाल मंदिर की अपनी निजी गोशाला से गाय के गोबर का जो उपला होता है, उसे धुने में जला कर उसकी भस्म बाबा को अर्पण की जाती है। बाबा को जब भस्म अर्पण की जाती है तो पांच मंत्रों के उच्चारण के साथ की जाती है। ये पांच मंत्र हमारे शरीर के तत्व हैं, इसके उच्चारण के साथ ही व्यक्ति को मोक्ष की प्राप्ति हो जाती है।

क्या है सच्चाई

बाबा महाकाल के भस्म आरती के दर्शन करने लोग दूर दूर से आते हैं। बहुत से श्रद्धालुओं को यह लगता है कि बाबा पर भस्म चिता की ताजी राख से होती है और बाबा का श्रृंगार होता है या आरती होती है। लेकिन ऐसा नहीं है। महेश पुजारी ने बताया बाबा की जो आरती होती है उसे मंगला आरती कहा जाता है और जो भस्म रहती है वो शुद्ध 5 कंडे की राख की रहती है। बाबा की भस्म आरती नहीं होती, भस्म से बाबा का स्नान होता है। आरती तो दीपक ज्योत से होती है।

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