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ठगी का नया तरीका, नकली थाने से वारदात, कोलकाता से आए इंजीनियर के खाते से ढाई लाख रुपये उड़ाए, ऐसे रहिये सतर्क

जबलपुर। साइबर ठगी के नए-नए तरीके अपनाए जा रहे हैं। साइबर ठग अब नकली पुलिस थाने से ठगी की असली घटनाओं को अंजाम दे रहे हैं। मुंबई से ट्रांसफर होकर जबलपुर आए कोलकाता निवासी इंजीनियर को नकली पुलिस के जाल में फंसने के कारण ढाई लाख रुपये गंवाने पडे़।

साइबर ठगों ने महाराष्ट्र पुलिस का अधिकारी बनकर उसे झांसे में लिया। उसके आधारकार्ड पर जारी सिम के उपयोग से साइबर ठगी की घटनाओं में मुंबई के पुलिस थाने में एफआइआर दर्ज होने की जानकारी दी। एक घंटे के भीतर बयान के लिए मुुंबई बुलाया। डरे सहमे इंजीनियर ने इतने कम समय में जबलपुर से मुंबई पहुंचने में असमर्थता जताई तो वीडियो काॅल पर बयान लेने का झांसा दिया।

इंजीनियर के मोबाइल पर एप डाउनलोड कराने के बाद वीडियो काॅल किया। काॅल करने वाला पुलिस की वर्दी में था, कंधे पर अशोक स्तंभ का चिंह था। जिस जगह पर वह बैठा था उसे पुलिस थाने का आकार दिया गया था। इंजीनियर को भरोसा हो गया कि उससे वीडियो काॅल पर चर्चा करने वाला पुलिस अधिकारी है। जिसके बाद बातचीत के दौरान इंटरनेट बैंकिंग से साइबर ठगों ने उसके बैंक अकाउंट से ढाई लाख रुपये उड़ा दिए। एसआई हेमंत पाठक ने बताया कि इंजीनियर की शिकायत पर स्टेट साइबर सेल जबलपुर इकाई ने जांच शुरू कर दी है।

 

मूलत: कोलकाता निवासी युवक मुंबई की निजी कंपनी में इंजीनियर है। कंपनी ने कामकाज के सिलसिले में उसका ट्रांसफर जबलपुर कर दिया है। कुछ दिन पूर्व उसके मोबाइल पर फोन आया। कालर ने स्वयं काे मुंबई क्राइम ब्रांच का अधिकारी बताया। इंजीनियर को जानकारी दी कि सिम फ्राॅड के प्रकरण में उसके खिलाफ मुंबई क्राइम ब्रांच में एफआइआर दर्ज हुई है। उसके आधारकार्ड का उपयोग कर मोबाइल सिम जारी की गई, जो फ्राड में उपयोग हो रही है।
इस संबंध में पूछताछ के लिए एक घंटे में मुंबई पहुंचने के लिए कहा। इंजीनियर ने इतने कम समय में मुंबई पहुंचने में असमर्थता जताई। जिसके बाद फोन करने वाले ने वीडियो काॅल पर बयान दर्ज कराने काे कहा। इंजीनियर इसके लिए तैयार हो गया। कालर ने इंजीनियर से मोबाइल पर वीडियो काॅलिंग एप डाउनलोड करने को कहा। जिसकी आइडी उसके मोबाइल पर भेजी गई। आईडी में मुंबई पुलिस 128 डी अंकित था।

 

एप डाउनलोड होने के बाद काॅलर ने वीडियो काॅल किया। एक कक्ष में पुलिस की वर्दी में अधिकारी बैठा नजर आया, जिसके कंधे पर अशोक स्तंभ का चिंह लगा था। ठीक पीछे दीवार पर मुुंबई क्राइम ब्रांच का मोनो लगा था। कुछ और लोग पुलिस की वर्दी में कक्ष में बैठे थे तथा पूरा परिसर पुलिस थाना जैसा नजर आ रहा था।

 

इंजीनियर को यकीन हो गया कि उसकी बात पुलिस अधिकारियों से हो रही है, जबकि वह साइबर ठगों के चंगुल में फंस चुका था। अधिकारी बने ठगों ने मोबाइल का स्क्रीन शेयर करने के लिए कहा। बैंक स्टेटमेंट, आधारकार्ड समेत अन्य दस्तावेज दिखाने को कहा। जिसके बाद मोबाइल चेक करना है बोल कर ठगों ने इंजीनियर से मोबाइल का स्क्रीन शेयर करने को कहा।

 

इस बीच बयान भी दर्ज किया जा रहा था। इंजीनियर ने बयान में कहा कि वह कुछ माह पूर्व मुंबई से जबलपुर आया था। सिम फ्राड के संबंध में उसे जानकारी नहीं। लगभग 10 मिनट हुई चर्चा के बाद वीडियो काल बंद हो गया और इंजीनियर के बैंक खाते से ढाई लाख रुपये पार हो गए।
इनका कहना है

 

 

क्राइम ब्रांच का अधिकारी बनकर मुंबई से जबलपुर आए इंजीनियर के साथ साइबर ठगी की घटना प्रकाश में आई है। शिकायत के आधार पर साइबर ठगों की पतासाजी की जा रही है। जागरूकता से साइबर ठगी की घटनाओं को टाला जा सकता है।

 

 

आनंद वसूनिया, टीआइ, स्टेट साइबर सेल

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